British rule in Bengal-बंगाल में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना
अंग्रेजों की प्रारम्भिक स्थिति और नीतियों को देखकर कह सकते हैं कि बंगाल में अंग्रेजी शक्ति का उदय आकस्मिक और परिस्थितिजन्य घटनाओं के कारण हुआ था। तत्कालीन बंगाल के नवाब (सिराजुद्दौला) और उसकी कमजोरी के कारण बंगाल में अंग्रेजों को पैर जमाने का अवसर प्राप्त हो गया, जिसका उन्होंने भरपूर लाभ उठाया। भारत की गुलामी की दास्तां बंगाल से ही शुरू हुई। इस ब्लॉग के माध्यम से हम बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी के उदय और बंगाल की गुलामी के विषय में जानेंगे।
British rule in Bengal-बंगाल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-–
बंगाल में अंग्रेजों के आने से पूर्व की स्थिति को जानना आवश्यक है ताकि औपनिवेशिक शासकों की नीतियों को आसानी से समझा सके।
समकालीन बंगाल में आधुनिक पश्चिमी बंगाल प्रांत, संपूर्ण बांग्लादेश, बिहार और उड़ीसा सम्मिलित थे। बंगाल मुगलकालीन भारत का सबसे संपन्न राज्य था। 18वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जहां शेष भारत में हर तरफ पतन, पराजय और दिवालिएपन के बादल मंडरा रहे थे अकेला बंगाल प्रांत ही ऐसा था जहाँ साधन संपन्नता और समृद्धि की झलक दिखाई पड़ती थी और मुगल शासन के लिए यही एकमात्र चांदी की खान रह गया था। सौभाग्य से बंगाल को योग्यतम शासक मिले.
1700 ई० में मुर्शिद कुली खां बंगाल का दीवान नियुक्त हुआ और मृत्युपर्यंत (1727 ईस्वी तक) बंगाल की बागडोर संभाले रहा। इसके बाद उसके दामाद शुजा ने 14 वर्ष तक बंगाल पर शासन किया। इसके पश्चात 1 वर्ष के अल्प समय के लिए शासन मुर्शिद कुली खां के निकम्मे बेटे के हाथ में आ गया लेकिन शीघ्र ही अलीवर्दी खाँ ने उसका तख्तापलट कर सत्ता हथिया ली और 1756 तक बंगाल पर शासन किया। ये तीनों ही शासक बड़े समर्थ और सबल थे, इनके शासनकाल में बंगाल इतना अधिक समृद्ध हो गया था कि इसे बंगाल, स्वर्ग कहा जाने लगा।
कुशल प्रशासन के अतिरिक्त बंगाल को अन्य लाभ भी थे– एक ओर जहां शेष भारत सीमावर्ती युद्धों,मराठा आक्रमणों और जाट विद्रोह से ग्रस्त था और उत्तरी भारत नादिरशाह और अहमद शाह अब्दाली के आक्रमणों से विनष्ट हो चुका था, वहीं बंगाल में कुल मिलाकर शांति बनी रही। यहां व्यापार, वाणिज्य, उद्योग धंधे और कृषि, सभी पर्याप्त रूप से समृद्ध थे।
कोलकाता की आबादी, 1706 में 15,000 थी, 1750 में बढ़कर एक लाख तक पहुंच गई और ढाका तथा मुर्शिदाबाद घनी आबादी वाले नगर बन गए लेकिन समृद्धि की जगमगाहट के पीछे की दशा इतनी अधिक निराशाजनक और नाजुक थी कि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यह समृद्धि कच्ची-ईंटों की दीवार की भांति है जो तूफान के एक छोटे से झोंके से भरभराकर गिरकर समुद्र में विलीन हो जाएगी। बंगाल के अहंकारी नवाब शासक और अरसे से शोषित उनकी प्रजा अभी भी एक-दूसरे के माया जाल से बंधे रहने के लिए अभिशप्त थे।
- 1690 में जॉन चारनॉक ने अंग्रेज बस्ती के रूप में कोलकाता की स्थापना की।
- 1697 में फोर्ट विलियम नाम से एक किलेबन्द फैक्ट्री बनाई जिसने एक नए प्रांत का रुप ले लिया। और 1700 में इसे औपचारिक रूप से बंगाल में फोर्ट विलियम प्रांत (प्रेसीडेंसी) कहा गया।
- सुतनौती, कलिकाता और गेाविन्दपुर को मिलाकर आधुनिक नगर कलकत्ता(कोलकता) का विकास हुआ।
British rule in Bengal-बंगाल में अंग्रेजों का आगमन
नवाब ने यूरोपियों को मधुमक्खियों की उपमा दी थी। कि यदि उन्हें छेड़ा जाए तो वे शहद देंगी और यदि छेड़ा जाए तो काट-काट कर मार डालेंगी। शीघ्र ही यह भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हो गई।