क्या आप जानते हैं कौनसा शहर एक दिन के लिए भारत की राजधानी रहा -One Day Capitan Of India

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    भारत की वर्तमान राजधानी नई दिल्ली है लेकिन दिल्ली प्रारम्भ से भारत की राजधानी नहीं रही थी। प्राचीन काल में जहाँ पाटलीपुत्र ( वर्तमान पटना ) थी तो पूर्व मध्यकाल तक आते-आते कन्नौज भारत की राजधानी कला केंद्र बिंदु हो गया। सल्तनत काल में दिल्ली को राजधानी का गौरव प्राप्त हुआ तो मुग़ल राजधानी आगरा ले गए।

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क्या आप जानते हैं कौनसा शहर एक दिन के लिए भारत की राजधानी रहा -One Day Capitan Of India

    अंग्रेजों ने कलकत्ता को राजधानी के रूप में विकसित किया और अंततः 1911 में दिल्ली पूर्णकालिक राजधानी के रूप में स्थापित हुई। लेकिन इस सब के बीच एक शहर ऐसा भी रहा जो मात्र एक दिन के लिए भारत की राजधानी रहा।क्या आप जानते हैं कौनसा शहर एक दिन के लिए भारत की राजधानी रहा -One Day Capitan Of India

क्या आप जानते हैं कौनसा शहर एक दिन के लिए भारत की राजधानी रहा -One Day Capitan Of India

भारत का वह शहर जो एक दिन के लिए भारत की राजधानी रहा
तो हम आपको बताते हैं उस शहर का नाम जो ( One Day Capital of India ) कहा जाता है। इलाहबाद ( वर्तमान प्रयागराज ) को वह गौरव हासिल है जो एक दिन के लिए भारत की राजधानी के रूप में जाना जाता है। जो हाँ यह एकदम सत्य है 1858 में इलाहबाद को एक दिन के लिए भारत की राजधानी घोषित किया गया था।

    जिस वक़्त इलाहबाद को भारत की राजधानी घोषित किया गया वह उस समय उत्तर-पश्चिम प्रान्त ( वर्तमान उत्तर प्रदेश ) की भी राजधानी था। उस समय तक ईस्ट इंडिया कंपनी इलाहबाद विश्वविद्यालय और उच्च न्यायालय की स्थापना कर चुके थे।

जानिए इलाहबाद का संछिप्त इतिहास

    वर्तमान प्रयागराज तो कुछ वर्ष पहले तक इलाहबाद के नाम से ही जाना जाता था, मुग़ल सम्राट अकबर द्वारा इस शहर की स्थापना 1853 में की गई थी। अकबर ने ही इसे इलाहबाद नाम दिया और इसे मुग़ल साम्राज्य की प्रांतीय राजधानी बनाया। सम्राट जहांगीर ने इस शहर को 1599 से 1604 तक अपना मुख्यालय बनाये रखा।

   मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ ही यह शहर अंग्रेजों के हाथ में आ गया, जिहोने 1801 में इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। 1857 की क्रांति के समय उत्तर भारत में यह शहर विद्रोह का केंद्र था। इलाहबाद मोतीलाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू का गृह नगर रहा है।

इलाहबाद का भौगोलिक विस्तार

इलाहबाद एक पवित्र शहर है जो प्रयागराज प्राचीन प्रयाग पर स्थित था जिसकी तुलना वाराणसी और हरिद्वार जैसे पवित्र स्थलों से की जाती है। इलाहबाद का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है और इसका प्रमाण है यहां से मिलने वाला अशोक स्तम्भ और गुप्त सम्राट समुद्र गुप्त का प्रयाग प्रशस्ति लेख।

    हिन्दुओं के लिए इलाहाबद अत्यंत धार्मिक मान्यता का रहा है। सम्राट हर्षवर्धन कुम्भ के मेले में अपना सर्वज्ञ दान करके आते थे। हर बारह वर्ष में गंगा-यमुना के संगम पर कुम्भ का मेला आयोजित होता है। इस मेले में देश विदेश से लाखों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।

इलाहबाद है शिक्षा का प्रमुख केंद्र

प्रयागराज का सिर्फ धार्मिक अथवा राजनीतिक महत्व ही नहीं है यह शहर बौद्धिकता के लिए भी प्रसिद्द है जो लम्बे समय से प्रशासनिक और शैक्षिक केंद्र के रूप में स्थापित है। यह शहर कृषि और उद्योग से जुड़ा महत्वपूर्ण केंद्र है।

     उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग इस शहर ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा जिससे पर्यटक इस शहर की ओर आकर्षित होने लगे हैं। यहाँ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत से कोचिंग संस्थान मौजूद हैं। यहाँ उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय और इलाहबाद विश्वविद्यालय ( 1887 ) मौजूद है। यहाँ एविएशन ट्रेनिंग सेण्टर और कई संग्राहलय भी देखने को मिलते है।

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