1859-60 के नील विद्रोह के कारणों की विवेचना कीजिए

भारत में उपनिवेशवादी सरकार के शोषण और उसकी आर्थिक नीतियों ने भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था जो प्राचीनकाल से ही आत्मनिर्भर थी, की कमर तोड़ दी थी। भू:राजस्व की नई कीमतों , बढ़ती मंहगाई और कृषि के घटते उत्पादन ने इस देश के ग्रामीण समुदाय विशेषकर किसानों की कमर तोड़ दी थी। नील फैक्ट्री का एक सांकेतिक … Read more

क्या गाँधी जी भगत सिंह को फांसी से बचा सकते थे | Could Gandhiji have saved Bhagat Singh from hanging?

अक्सर बहुत से जिज्ञासु अथवा गाँधी के आलोचक यह कहते सुने जाते हैं कि अगर महात्मा गाँधी चाहते तो सरदार भगत सिंह को फांसी से बचा सकते थे लेकिन उन्होंने इसका कोई प्रयास नहीं किया। मगर हकीकत इसके उलट है गाँधी ने भगत सिंह सहित उनके साथ गिरफ्तार अन्य क्रांतिकारियों को बचाने के लिए पूरी … Read more

स्वतंत्रता आंदोलन में उत्तर भारतीय क्रांतिकारियों का योगदान, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, असफाक उल्ला खान, सुखदेव और राजगुरु

भारत को आज़ाद कराने में क्रांतिकारियों का योगदान सबसे ज्यादा है, ये क्रन्तिकारी ही थे जिनके कार्यों ने अंग्रेजों के मन में भय उत्पन्न किया। ऐसे महान क्रांतिकारियों को आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से याद करेंगे। ये क्रन्तिकारी बिना किसी स्वार्थ के देश की आज़ादी की खातिर फांसी पर चढ़ गए।  photo credit- … Read more

गुरुवायूर मंदिर प्रवेश सत्याग्रह किसके द्वारा चलाया गया

दलित व पिछड़े वर्गों के सामाजिक व आर्थिक तथा छुआछूत उन्मूलन के लिए संघर्ष 1924 के बाद भी चलता रहा।  यह गाँधी जी के ‘रचनात्मक कार्यक्रमों’ का एक हिस्सा था। केरल में एक बार इस संघर्ष ने जोर पकड़ा। गुरुवायूर मंदिर प्रवेश आंदोलन एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार आंदोलन था जो 1931 में भारत के केरल … Read more

बारदोली सत्याग्रह | बारदोली आंदोलन | Bardoli Satyagraha | Bardoli Movement

सूरत जिले ( गुजरात ) के बारदोली तालुके में 1928 ईस्वी में एक प्रकार से असहयोग आंदोलन ही था जब किसानों ने लगान न चुकाने का निर्णय लिया था। 1922 में इसी बारदोली तालुके से महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन प्रारम्भ करने का निर्णय लिया था, लेकिन चौरी-चौरा की घटना के बाद यह निर्णय अमल … Read more

पूना पैक्ट गाँधी और सवर्णों की साजिश ? Poona Pact in Hindi

  “गाँधी कोई महात्मा नहीं मैं उन्हें महात्मा नहीं मानता  वो एक शातिर राजनेता हैं।” ये बात बाबा साहब आंबेडकर ने गाँधी के बारे में कही थी। क्यों कही थी? क्योंकि बाबा साहब गाँधी को बहुत अच्छे से जान चुके थे वो पहचान चुके थे कि कैसे गाँधी वर्ण व्यवस्था के कट्टर समर्थक हैं,  और … Read more

मोतीलाल नेहरू के पूर्वज कौन थे, नेहरू शब्द का अर्थ और इतिहास

वर्तमान में राजनीतिक दलों और उनके समर्थकों का नैतिक स्तर कितना गिर चुका है वह इसी बात से पता चलता कि ऐसे अनेक लोग आपको मिल जायेंगे जो कहते हैं कि जवाहर लाल नेहरू के पूर्वज मुसलमान थे ! ये लोग एक दल विशेष के समर्थक होते हैं जो व्हाट्सप्प और फेसबुक यूनिवर्सिटी से प्राप्त … Read more

भारत के सबसे ईमानदार प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी और उनकी मौत का रहस्य

लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। उन्होंने देश के विकास और समृद्धि के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। लेकिन उनकी रहस्यमय मृत्यु का सच आज भी सामने नहीं आया है। इस लेख में शास्त्री जी की मृत्यु से जुड़े कुछ ऐतिहासिक … Read more

भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता रविंद्रनाथ टैगोर की बायोग्राफी

रवींद्रनाथ टैगोर भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। वह एक कवि, दार्शनिक, संगीतकार, लेखक और यहां तक ​​कि एक शिक्षक भी थे। उन्हें इंग्लैंड के किंग जॉर्ज पंचम द्वारा ‘हीरो’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था।विश्व-भारती विश्वविद्यालय के संस्थापक रवींद्रनाथ टैगोर को ‘गुरुदेव’ के नाम से जाना जाता था। उनके सभी प्रसिद्ध एल्बमों को ‘रवींद्र … Read more

लाला हरदयाल और ग़दर पार्टी | ग़दर आंदोलन | कामा गाटा मारू की घटना

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भारत के प्रत्येक क्षेत्र और प्रान्त के क्रांतिकारियों में अपनी-अपनी भूमिका को अंजाम दिया। ऐसे ही एक क्रांतिकारी थे ‘लाला हरदयाल’ . लाला  हरदयाल पंजाब के एक महान क्रन्तिकारी तथा बुद्धिजीवी थे। गदर आंदोलन में मुख्य भूमिका में वही थे।    लाला हरदयाल का परिचय लाला हरदयाल एक भारतीय क्रांतिकारी, लेखक … Read more