जानिए कौन थीं अन्नपूर्णा तुरखुद, जिनसे अंग्रेजी पढ़ते-पढ़ते रवींद्रनाथ टैगोर को हो गया था प्यार-love story of Annapurna Turkhud and Rabindranath Tagore in Hindi
रवींद्रनाथ टैगोर की प्रेम कहानी: रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें गुरुदेव या केवल टैगोर के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय साहित्य और दर्शन में उनके योगदान को कौन भारतीय नहीं जानता? टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, वे एक कवि, लेखक, दार्शनिक, संगीतकार और चित्रकार थे। वहीं, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ही थे जिन्होंने भारत का राष्ट्रगान लिखा और ‘गीतांजलि’ जैसी रचनाएं दुनिया को दीं।love story of Annapurna Turkhud and Rabindranath Tagore in Hindi
उन्हें ‘गीतांजलि’ के लिए 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के बारे में तो लोग बहुत कुछ जानते होंगे, लेकिन उनके जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें भी हैं जिनके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते होंगे, जैसे कि क्या उन्हें कभी किसी से प्यार हुआ था।
Love story of Annapurna Turkhud and Rabindranath Tagore in hindi
इस खास लेख में हम टैगोर के जीवन की उस खास महिला के बारे में बताएंगे, जिनसे रवींद्रनाथ टैगोर को एक बार प्यार हो गया था।
आइए, अब विस्तार से पढ़ें (रवींद्रनाथ टैगोर की प्रेम कहानी) लेख
अन्नपूर्णा तुरखुद,
रवींद्रनाथ टैगोर की प्रेम कहानी हिंदी में: जिस महिला के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसका नाम अन्नपूर्णा तुरखुद है, जिसे रवींद्रनाथ टैगोर प्यार से ‘नलिनी’ कहकर बुलाते थे। एक मराठी लड़की जो युवा रवींद्र के जीवन में इस तरह आई कि वह उनकी कई कविताओं का हिस्सा बन गई।
अन्नपूर्णा तुरखुद बंबई की रहने वाली थीं, उन्हें अन्ना या अन्नबा के नाम से भी पुकारा जाता था। अन्नपूर्णा मुंबई के एक डॉक्टर आत्माराम पांडुरंग तुरखुद की बेटी थीं। अन्नपूर्णा के पिता एक डॉक्टर होने के साथ-साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे, जिन्होंने प्राथना समाज की नींव रखी।
यही कारण था कि आत्माराम पांडुरंग के मित्रों और परिचितों में देश भर के कई सामाजिक कार्यकर्ता और सुधारवादी नागरिक भी शामिल थे। इनमें रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई सत्येंद्रनाथ ठाकुर भी थे।
जब रवींद्रनाथ तुरखुद परिवार में रहने आए
रवींद्रनाथ टैगोर की प्रेम कहानी हिंदी में: सत्येंद्रनाथ टैगोर चाहते थे कि रवींद्र पहली बार (1878) इंग्लैंड जाने से पहले अंग्रेजी भाषा में अच्छे हो जाएं और इसलिए उन्होंने युवा रवींद्र को कुछ समय के लिए तुरखद परिवार के साथ रहने के लिए मुंबई भेज दिया। बताया जाता है कि रवींद्र वहां करीब दो महीने तक रहे। उन्हें अन्ना ने अंग्रेजी पढ़ाया था, जो उनसे उम्र में तीन साल बड़ी थीं। अन्ना इंग्लैंड से आई थी और उसकी अंग्रेजी पर पकड़ बहुत अच्छी थी।
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जब रवींद्र ने प्यार से अन्ना का नाम रखा ‘नलिनी’
कहा जाता है कि अंग्रेजी पढ़ने और पढ़ाने के दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ी और दोनों में प्यार हो गया। कृष्णा कृपलानी की किताब ‘टैगोर ए लाइफ’ के मुताबिक जब दोनों में प्यार हुआ तो रवींद्र ने प्यार से उसका नाम ‘नलिनी’ रखा। हालांकि दोनों के बीच प्यार सीमित समय तक चला और भविष्य में दोनों साथ नहीं रह सके। वहीं कहा जाता है कि रवींद्रनाथ ठाकुर की कई कविताएं अन्ना को समर्पित थीं।
रवींद्र के इंग्लैंड जाने के बाद दूसरी शादी कर ली
अन्ना से दो महीने तक अंग्रेजी सीखने के बाद, युवा रवींद्र इंग्लैंड चले गए। इसके बाद अन्नपूर्णा तुरखुद ने बड़ौदा हाई स्कूल और कॉलेज के वाइस प्रेसिडेंट हेरोल्ड लिटलडेल से शादी की। शादी के बाद अन्ना इंग्लैंड चली गईं। लेकिन, बहुत कम उम्र (33) में उनका निधन हो गया।
रिश्ते के खिलाफ थे रवींद्र के पिता
ऐसा माना जाता है कि अन्ना के पिता ने दोनों के बीच के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था, लेकिन रवींद्र के पिता देवेंद्रनाथ ठाकुर इसके खिलाफ थे, क्योंकि अन्ना रवींद्र से तीन साल बड़ी थी। वहीं यह भी कहा जाता है कि अन्ना और अन्ना के पिता भी टैगोर के पिता से मिलने कलकत्ता गए थे। वहीं कहा जाता है कि देवेंद्रनाथ ठाकुर ने वहां रिश्ते से इनकार कर दिया था.
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दोनों के बीच था गहरा प्यार
भले ही दोनों सीमित समय के लिए एक-दूसरे के संपर्क में थे, लेकिन दोनों के बीच गहरा लगाव था। ऐसा कहा जाता है कि अन्ना ने अपना साहित्यिक नाम नलिनी रखा था और अपने एक भतीजे का नाम रवींद्रनाथ रखा था। वहीं रवींद्र भी नलिनी को कभी नहीं भूल पाए। कहा जाता है कि बुढ़ापे में वह उनसे बातें किया करती थी। यह भी कहते थे कि नलिनी ने उन्हें कभी दाढ़ी रखने के लिए नहीं कहा था, लेकिन फिर भी उन्होंने दाढ़ी रखी।
ARTICLE SOURCES:hindi.scoopwhoop.com
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