जापान ने खोजा बिजली बनाने का नया तरीका-अनेक वैज्ञानिक अनुसंधानों ने इस बात को प्रमाणित किया है कि समुद्र में ऊर्जा की अपार संभावनाएं छुपी हैं, यह पृथ्वी पर उपस्थित अन्य ऊर्जा संसाधनों के मुकाबले कहीं ज्यादा विस्तृत है, ऐसा वैज्ञानिकों का मनना है। जापान ने इसी व्यापक समुद्री ऊर्जा स्रोतों को एकत्र कर इसे वास्तविक रूप में इस्तेमाल करने का प्रयास किया है।
जापान ने खोजा बिजली बनाने का नया तरीका
इस उद्देश्य के लिए जापान 330 टन के विशाल टर्बाइन पावर जेनरेटर को समुद्र की तलहटी में उतारने का फैसला किया है। इस संबंध में जापान के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विशाल बजन का टर्बाइन जेनरेटर समुद्री की विशाल शक्तिशाली लहरों में टिका रहेगा, और इन लहरों में मौजूद ऊर्जा है, उसे असीमित बिजली सप्लाई में परिवर्तित कर देगा।
इस परियोजना को कैरयू ( kairyu ) दिया गया है जिसका अर्थ है समुद्री लहरें। इसका ढांचा हवाई जहाज के आकर का 20 मीटर लम्बा है। दो सामान आकर के सिलेंडरों से यह ढांचा घिरा हुआ है। प्रत्येक सिलेण्डर में एक पावर जेनरेटर सिस्टम फिट किया गया जिसे एक टर्बाइन ब्लेड, जो 11 मीटर लम्बा है के साथ जोड़ा गया है।
इस परियोजना को इशीक्वाजिमा हरिमा हैवी इंडस्ट्रीज के द्वारा तैयार किया गया है। इस कंपनी को IHI कारपोरेशन के नाम से भी पहचाना जाता है। कंपनी लम्बे समय से इस परियोजना पर काम कर रही है और इसे लगभग 10 वर्ष हो चुके हैं। अपने कांसेप्ट की टेस्टिंग के लिए इस कंपनी ने 2017 में new energy industrial टेक्नोलॉजी development organization के साथ समझौता किया था।
फरवरी 2022 में कंपनी ने जापान के दक्षिण -पश्चिमी समुद्र में 3.5 साल लम्बा अंडर वाटर टेस्ट यानि समुद्र के अंदर परीक्षण को पूरा किया। अनुमान व्यक्त किया गया है की यह मशीन 2030 में अपना काम करना प्रारम्भ कर देगी। इस मशीन का डिजाइन इस तरह का है कि यह आटोमेटिक रूप से स्वयं पता लगा लेगी कि पावर जेनरेटर करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान कौनसा है।
ज्ञात हो कि जापान अपने संसाधन के रूप में अधिकांश जीवाश्मीय ईंधन का प्रयोग करता है। और उसकी अधिकांश जरूरते आयत पर निर्भर हैं।
जापान विस्तृत समुद्र तरीय सीमा रेखा वाला देश है। उत्तरी प्रशांत चक्रवातीय शक्ति के कारण महासागर पूर्व की ओर घूमता है। यही चक्रवातीय गति जब जापान से टकराती है तो इसके द्वारा कुरोशियों करंट बनता है। यह शक्तिशाली करंट होता है।
IHI का कहना है कि यदि इस चक्रवातीय ऊर्जा के करंट को उपयोग किया जाता है तो यह 205 गीगावाट विद्युत् उत्पादन करने की क्षमता रखता है जो जापान के वर्तमान ऊर्जा क्षमता के बराबर होगा।
कैरू को लहरों से 50 मीटर नीचे तैरने के लिए बनाया गया है। जब यह लहरों के साथ किनारे की ओर बढ़ता है, तो यह टर्बाइन के लिए आवश्यक टॉर्क बनाता है। इसका प्रत्येक ब्लेड विपरीत दिशा में घूमता है जिससे मशीन स्थिर रहती है।
कहा जाता है कि कैरौ दो से चार समुद्री मील (लगभग एक से दो मीटर प्रति सेकंड) के प्रवाह पर 100 किलोवाट बिजली का उत्पादन करता है। जब तट के बाहर स्थापित पवन टर्बाइनों की तुलना में जो 3.6 मेगावाट बिजली का उत्पादन करते हैं, तो यह काफी कम लगता है।
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