हरियाणा सरकार ने बदला इतिहास का पाठ्यक्रम-2022 information

हरियाणा सरकार ने बदला इतिहास का पाठ्यक्रम (syllabus)-2022, जानिए पूरी खबर हिंदी में।

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  हरियाणा सरकार ने बदला इतिहास का पाठ्यक्रम.

     हरियाणा सरकार ने इतिहास के सिलेबस-2022 में परिवर्तन कर दिया है। हरियाणा सरकार के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने नए पाठ्यक्रम के अनुसार किताबों को जारी कर दिया है। हरियाणा सरकार ने बदला इतिहास का पाठ्यक्रम. नए पाठ्यक्रम में मुख्य बदलाब यह हुआ है कि अब छात्रों को इतिहास में महात्मा गाँधी के साथ सावरकर के विषय में भी पढ़ने को मिलेगा। हरियाणा सरकार ने बदला इतिहास का पाठ्यक्रम (syllabus)-2022, जानिए पूरी खबर हिंदी में। 

हरियाणा सरकार ने बदला इतिहास का पाठ्यक्रम
image credit- news18.com

हरियाणा सरकार ने इतिहास की पुस्तकों में क्या परिवर्तन किया है?

विभिन्न मीडिया स्रोतों के अनुसार हरियाणा सरकार ने वर्ष 2022 के लिए इतिहास का पाठ्यक्रम बदल दिया है। हरियाणा के स्कूलों में पढाई जाने वाली इतिहास की पुस्तकों में अब छात्र महत्मा गाँधी के साथ-साथ वीर सावरकर के विषय में भी पढ़ेंगे। यह बदलाब शिक्षा मंत्री कुंवरपाल द्वारा लागू कर दिया गया है और नई किताबे लॉन्च कर दी गई हैं।

किस क्लास की पुस्तकों में हुआ है परिवर्तन?

हरियाणा सरकार ने अब हरियाणा में कक्षा 6 से दसवीं तक पढ़ाए जाने वाले इतिहास की पुस्तकों में परिवर्तन करते हुए कुछ नए विषय जोड़े हैं। नए पाठ्यक्रम में विदेशी आक्रमणों से जुड़ा एक पेज दिया गया है, जबकि भारत के महापुरषों के बारे में एक पैरा की जगह एक पेज का स्थान दिया गया है।

हरियाणा सरकार ने बदला इतिहास का पाठ्यक्रम

अन्य पाठों में परिवर्तन ( 1857 की क्रांति के प्रारम्भ होने के स्थान में परिवर्तन )

सरस्वती नदी ( प्राचीनकालीन, अब विलुप्त ) के विषय में अब कक्षा 6 के साथ दसवीं में भी पढ़ाया जायेगा। 1857 का विद्रोह या क्रांति को ग़दर नहीं बल्कि आज़ादी की प्रथम क्रांति के तौर पर पढ़ाया जायेगा। इसमें हरियाणा के योगदान को प्रमुखता प्रदान की गई है। मुख्य परिवर्तन यह है कि अब तक १८५७ की क्रांति का प्रारम्भ मेरठ ( उत्तर प्रदेश ) से पढ़ाया जाता है, लेकिन हरियाणा की नई इतिहास की पुस्तकों में इस क्रांति को अम्बाला से प्रारम्भ होना पढ़ाया जायेगा।

गौरतलब है कि हरियाणा का एक गौरवशाली इतिहास रहा है , इसी को ध्यान में रखकर हरियाणा के स्थानीय इतिहास को ज्यादा प्राथमिकता दी गई है जबकि बाहरी इतिहास को कम से कम रखा गया है। हरियाणा से संबंधित महापुरुषों की संख्या को इतिहास में ज्यादा स्थान दिया गया है। इसी प्रकार सरस्वती नदी के महत्व और सिंधु सभ्यता के विस्तार को प्रमुखता देते हुए पाठ्यक्रम में स्थान दिया गया है। अब छात्र कैथल के क्रन्तिकारी मोहन सिंह मंढार सहित स्थानीय राजाओं का भी पढ़ेंगे।

गुरु सिख परम्परा को भी दिया गया है महत्व

आठवीं के इतिहास में अब छात्र सिख धर्म से संबंधित सिख गुरुओं के विषय में भी जानेंगे और विशेष अध्याय जोड़ा गया है इसके अतिरिक्त प्रमुख गुरुद्वारों के विषय में जानकारी के लिए गुरुद्वारों के फोटो भी छापे गए हैं। इन परिवर्तनों के पीछे स्वर्गीय दर्शन लाल और सतीश चंद मित्तल की प्रेरणा बताया गया है जो आरएसएस से जुड़े थे।

इतिहास में होगी भ्रम की स्थिति

अब ये परिवर्तन हो चुके हैं तो यह भी निश्चित है कि इतिहास में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी! क्योंकि 1857 की क्रांति का प्रारम्भ इतिहास की सभी किताबों में ( ncert और सीबीएसई सहित ) मेरठ बताया गया है लेकिन हरियाणा की इतिहास की पुस्तक इसका स्थान अम्बाला दर्शाती है।

निष्कर्ष

   हम सब जानते हैं कि इतिहास में बहुत से महापुरुष और घटनाएं स्थान पाने से बंचित रहे हैं। ऐसे लोगों और घटनाओं के विषय में ही इतिहास के अध्ययन की नई पद्धति शुरू की गई जिसे सबलटर्न पद्धति कहा जाता है। मगर ऐसी घटनाएं जिन्हें देशी और विदेशी एकमत स्वीकार करते हों उन्हें मनमाने तरिके से बदलना इतिहास के साथ घोर अपराध है। आगे जाकर प्रतियोगी छात्रों के सामने भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी।
हरियाणा सरकार द्वारा इतिहास की पुस्तकों में किये गए परिवर्तनों के विषय में आपकी क्या राय है कृपया कमेंट बॉक्स में अपने विचार रख सकते हैं।

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