मौर्यकाल में शूद्रों की दशा: किसान, दास, भोजन, वस्त्र और सामाजिक स्थिति
उत्तर वैदिककालीन सामाजिक दशा अपने वास्तविक स्वरूप से निकलकर उत्तरोत्तर कठिन होती गयी। बढ़ती जनसंख्या और आर्थिक महत्व ने कुछ विशेष वर्गों को अपने निजी हितों को संरक्षित करने को प्रेरित किया। इन निजी हितों ने समाज में जातिव्यवस्था को जन्माधारित स्वरूप प्रदान कर उसे धर्म सम्मत सिद्ध करने का षड्यंत्र किया और उसमें वे … Read more