Hadappa Sabhyata-हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की ?
हड़प्पा सभ्यता की खोज सन 1921 में राय बहादुर दयाराम साहनी द्वारा की गई। पाकिस्तान स्थित पंजाब (पाकिस्तान) के मोंटगोमरी ज़िले में रावी नदी के किनारे बसे हड़प्पा स्थल की खुदाई की थी भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष जॉन मार्शल के समय 1921 में हड़प्पा की खुदाई कराइ गई। यहाँ से तांबे की इक्का गाड़ी, उर्वरता की देवी, कांस्य दर्पण, मछुआरे का चित्र,गरुड़ की मूर्ति,अबलोकितेश की मूर्ति साक्ष्य के रूप में मिले हैं। इसके अतिरिक्त भी बहुत से साक्ष्य मिले हैं।
हड़प्पा सभ्यता: सामाजिक जीवन
हड़प्पा सभ्यता में परिवार सामाजिक जीवन का मुख्य आधार था। परिवार में सब लोग प्रेमपूर्वक रहते थे। परिवार का मुखिया माता को माना जाता था यानि हड़प्पा सभ्यता में समाज मातृसत्तात्मक था।मोहनजोदड़ो की खुदाई से सामजिक विभाजन के संकेत प्राप्त होते हैं।सम्भवतः समाज चार वर्णों में विभाजित था- विद्वान-वर्ग, योद्धा, व्यापारी तथा शिल्पकार और श्रमिक।
- विद्वान वर्ग के अंतर्गत सम्भवतः पुजारी, वैद्य, ज्योतिषी तथा जादूगर सम्मिलित थे।
- समाज में पुरोहितों का सम्मानित स्थान था।
- हड़प्पा सभ्यता में मिले मकानों की विभिन्नता के आधार पर कुछ विद्वानों ने समाज जाति प्रथा के प्रचलित अनुमार लगाया है।
- खुदाई में प्राप्त तलवार, पहरेदारों भवन तथा प्राचीरों अवशेष मिलने से वहां क्षत्रिय जैसे किसी योद्धा वर्ग के अनुमान लगाया जाता है।
- तीसरे वर्ग में व्यापारियों तथा शिल्पियों जैसे पत्थर काटने वाले, खुदाई करने वाले, जुलाहे, स्वर्णकार, आदि को शामिल किया है।
- अंतिम वर्ग में विभिन्न अन्य व्यवसायों से जुड़े लोग जैसे- श्रमिक, कृषक, चर्मकार, मछुआरे, आदि।
- कुछ विद्वान हड़प्पा सभ्यता में दास प्रथा के प्राचलन का भी अनुमान लगते हैं।
- परन्तु एस. आर. राव ने दास प्रथा के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया है।
हड़प्पा सभ्यता में नारी का स्थान
हड़प्पा सभ्यता में नारी का बहुत ऊँचा स्थान था।वह सभी सामाजिक धार्मिक कार्यों तथा उत्सवों में पुरुषों समान ही भाग थी।अधिकांश महिलाऐं घरेलु कार्यों से जुडी थीं। पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था।
सिंधु सभ्यता के लोगों का भोजन
- सिंधु सभ्यता शाकाहारी तथा माँसाहारी दोनों प्रकार का भोजन ग्रहण करते थे।
- गेहूँ, जौ, चावल, तिल, दाल आदि प्रमुख खाद्यान्न थे।
- शाक-सब्जियां, दूध तथा विभिन्न प्रकार फलों खरबूजा, तरबूज, नीबू, अनार, नारियल आदि का सेवन करते थे।
- मांसाहारी भोजन में सूअर, भेड़-बकरी, बत्तख, मुर्गी, मछलियां, घड़ियाल आदि खाया जाता था।
सिन्धुवासियों के वस्त्र
- सिन्धुवासी सूती तथा ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्रों का प्रयोग करते थे।
- स्त्रियां जूड़ा बांधती थीं तथा पुरुष लम्बे-लम्बे बाल तथा दाढ़ी-मुँछ रखते थे।
हड़प्पा सभ्यता आभूषण
- महिलाऐं तथा पुरुष दोनों ही आभूषणों का इस्तेमाल करते थे जैसे- अंगूठी, कर्णफूल, कंठहार आदि।
- हड़प्पा से सोने के मनकों वाला छः लड़ियों का एक सुन्दर हार मिला है।
- छोटे-छोटे सोने तथा सेलखड़ी निर्मित मनकों वाले हार बड़ी संख्या में मिले। हैं
- मोहनजोदड़ो से मार्शल ने एक बड़े आकर का हार प्राप्त किया है जिसके बीच गोमेद के मनके हैं।
- कांचली मिटटी, शंख तथा सेलखड़ी की बानी चूड़ियां मिली हैं।
- सोने, चांदी, तथा कांसे की चूड़ियां, मिटटी और तांबे की अंगूठियां भी मिली हैं।
- मोहनजोदड़ो की स्त्रियां काजल, पाउडर, तथा श्रृंगार प्रसाधन का प्रयोग थीं।
- चन्हूदड़ो से लिपस्टिक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- शीशे, कंघी, का भी प्रयोग था।
- तांबे दर्पण, छूरे, कंघें, अंजन लगाने की शलाइयाँ, श्रृंगादान आदि हैं।
- आभूषण बहुमूल्य पत्थरों, हाथी-दांत, हड्डी और शंख के बनते थे।
- खुदाई में घड़े, थालियां, कटोरे, तश्तरियां, गिलास, चम्मच आदि बर्तन हैं आलावा चारपाई, स्टूल, चटाई प्रयोग था।
- ऋग्वेदिककालीन भाषा और काव्य
सिन्धुवासियों के मनोरंजन के साधन
- पासा इस सभ्यता के लोगों का प्रमुख खेल था।
- हड़प्पा से मिटटी, पत्थर तथा मिटटी के बने सात पासे मिले हैं।
- सतरंज जैसे कुछ गोटियां भी मिली हैं जो मिटटी, शंख, संगमरमर, स्लेट, सेलखड़ी आदि से बनीं हैं।
- नृत्य भी प्रिय साधन था जैसा कि मोहनजोदड़ो से कांस्य निर्मित नृत्य मुद्रा में मिली मूर्ति प्रतीत होता है।
- जंगली जानवरों शिकार भी मनोरंजन साधन था
- मछली फंसना तथा चिड़ियों शिकार करना नियमित व्यवसाय था।
- मिटटी की बानी खिलौना गाड़ियां मिली हैं जिनसे खेलते होंगे।