अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2022, इतिहास, महत्व , थीम, और उससे जुड़े तथ्य

     पवित्र ग्रंथों के मौखिक प्रसारण और इसकी शिक्षाओं की गुप्त प्रकृति के कारण योग के इतिहास में अस्पष्टता और अनिश्चितता के कई स्थान हैं। योग पर प्रारंभिक लेखन नाजुक ताड़ के पत्तों पर लिखे गए थे जो आसानी से क्षतिग्रस्त, नष्ट या खो गए थे। योग के विकास का पता 5,000 साल पहले लगाया जा … Read more

मुहम्मद गोरी-भारत में मुस्लिम शासन की नींव रखने वाला आक्रमणकारी

    मुहम्मद गोरी-भारत में मुस्लिम शासन की नींव रखने वाला आक्रमणकारी- शिहाब अल-दीन (मुइज़्ज़ अल-दीन मुहम्मद इब्न सैम), जिसे मुहम्मद गोरी ( 1173-1206 ईस्वी ) के नाम से जाना जाता है, वह मुस्लिम शासक था जिसने भारत के बाद के इस्लामी शासक राजवंशों की नींव रखी जिसने बाद में इसका शिखर देखा। मुगल साम्राज्य में … Read more

गुर्जर-प्रतिहारों का इतिहास, शासक, साम्राज्य, कला और संस्कृति

     राजपूत शासकों में गुर्जर-प्रतिहारों को अत्यंत शक्तिशाली माना गया है। इस वंश कई प्रसिद्द शक्तिशाली शासक हुए जिहोने सैन्य अभियानों के साथ-साथ कला और संस्कृति के विकास में भी योगदान दिया। इस ब्लॉग में हम गुर्जर-प्रतिहारों का इतिहास जानेंगे। गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य गुर्जर-प्रतिहारों, या सिर्फ प्रतिहार (8 वीं शताब्दी CE – 11 वीं शताब्दी CE) … Read more

बंगाल का पाल और सेन वंश, शासक, साम्राज्य, समाज, धर्म, कला, और संस्कृति

 

    पाल वंश बंगाल का प्रसिद्द और शक्तिशाली वंश था। गोपाल इस वंश का संस्थापक था जिसे जनता ने बंगाल की गद्दी के लिए चुना था। इस प्रकार मध्यकालीन भारत का यह एक लोकतान्त्रिक वंश था जिसे जनता द्वारा चुना गया था। बंगाल में फैली अव्यवस्था और अराजकता की स्थिति को पल वंश के शासकों ने एक विशाल और शक्तिशाली राज्य के रूप में बदल दिया। इस ब्लॉग  बंगाल के पाल वंश के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे।

बंगाल का पाल और सेन वंश, शासक, साम्राज्य, समाज, धर्म, कला, और संस्कृति

पाल वंश से पूर्व बंगाल की राजनितिक दशा

बंगाल में मत्स्य-न्याय: ( जैसे बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है )

    बंगाल के शक्तिशाली शासक शशांक की मृत्यु के बाद बंगाल की राजनीतिक स्थिति अव्यवस्था और भ्रम की स्थिति में से एक थी।

    शशांक की मृत्यु के तुरंत बाद ह्वेन टी-संग (हुएनसांग) बंगाल का दौरा करने आए और उन्होंने पाया कि बंगाल को काजंगल, पुंड्रावर्धन, कर्णसुरवर्ण, समताता और ताम्रलिप्ति नामक पांच रियासतों में विभाजित किया गया है। उत्कल और कांगोड़ हालांकि बंगाल के हिस्से थे, जो स्वतंत्र हो गए थे।

    मंजुश्रीमूलकल्प में, शशांक की मृत्यु के बाद बंगाल में फैली अराजकता और अव्यवस्था का स्पष्ट संदर्भ है। शशांक के पुत्र मनब ने आठ महीने पांच दिनों तक बंगाल पर शासन किया, और बंगाल के विभिन्न हिस्सों में उभरे शासकों ने भी बहुत कम समय के लिए शासन किया। स्थिति का लाभ उठाकर कामरूप के भास्करवर्मन ने गौड़ पर विजय प्राप्त की और हर्षवर्धन ने उत्कल और कांगोद पर विजय प्राप्त की। जब हर्षवर्धन राजमहल के पास के जंगल में डेरा डाले हुए थे, तब भास्करवर्मन बीस हजार युद्ध हाथियों और तीस हजार युद्धपोतों के साथ उनसे मिलने आए।

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भारत के प्रमुख ब्रिटिश गवर्नर/गवर्नर-जनरल और वायसराय और उनकी उपलब्धियां 

भारत में बंगाल विजय के साथ अंग्रेजों ने अपने साम्राज्य विस्तार का श्रीगणेश किया था। इस साम्राज्य विस्तार ने भारत में प्रशासन सँभालने के लिए ब्रिटिश सरकार को योग्य गवर्नर नियुक्त करने के लिए मजबूर किया। इस प्रकार समय-समय पर अनेक ब्रिटिश प्रशासक भारत में आये जिन्होंने अपने कौशल का प्रदर्शन किया। इस ब्लॉग में … Read more

प्रागैतिहासिक स्थल आदमगढ़ और नागोरी मध्यप्रदेश के शैल चित्रों का इतिहास

रॉक कला (आदिमानव द्वारा पत्थरों पर उकेरे गए विभिन्न प्रकार चित्र ), जो प्राकृतिक रॉक संरचनाओं पर पेंटिंग और नक्काशी है, रचनात्मक अभिव्यक्ति के शुरुआती रूपों में से एक है और प्रागैतिहासिक समाजों के बीच एक सार्वभौमिक घटना है। केवल कला के बजाय संचार का एक साधन, यह भौतिक संस्कृति का एक संयोजन है जो … Read more

रूपकुंड झील: जिसमें सैकड़ों ‘नर कंकाल’ तैरते हैं, क्या है रहस्य?

एक झील जो सर्दी के मौसम में पूरी तरह से बर्फ से ढक जाती है। फिर गर्मी का मौसम आता है और धीरे-धीरे बर्फ पिघलने लगती है। आप सोच रहे होंगे कि इसमें रॉकेट साइंस क्या है? कदापि नहीं! यह प्रकृति का नियम है। कैसे दिखते हैं रूपकुंड झील में नर कंकाल लेकिन, धीरे-धीरे यहां … Read more

नील विद्रोह: जब भारतीय किसानों के सामने ब्रिटिश सरकार को टेकने पड़े घुटने !

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई आंदोलन हुए। उन्हीं आंदोलनों में भारत के गरीब किसानों ने भी अंग्रेजों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन किया था। जिसे इतिहास में ‘नील विद्रोह’ के नाम से जाना जाता है। किसानों का यह विद्रोह भी सफल रहा। ब्रिटिश सरकार को अपनी संगठित शक्तिशाली शक्ति के आगे झुकना पड़ा। ऐसे … Read more

एक ऐतिहासिक रहस्य: बहुत कम भारतीय जानते होंगें कि पंडित जवाहर लाल नेहरू नहीं बल्कि ‘बरकतुल्ला खान’ थे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री

क्या आप इस रहस्य से परिचित हैं कि बरकतुल्लाह खान भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, पंडित नेहरू नहीं! जब किसी भारतीय से पूछा जाएगा कि क्या आप भारत के पहले प्रधानमंत्री का नाम बता सकते हैं तो वह केवल पंडित नेहरू का नाम बताएंगे, क्योंकि इतिहास की किताबों में यही लिखा है। लेकिन आज हम … Read more

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