Lal Bahadur Shastri Quotes in Hindi

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लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री ( 9 June 1964 – 11 January 1966 ) थे जिन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह भारत के सबसे ईमानदार प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म ( 2 October 1904 और मृत्यु  11 January 1966) को हुई। उनके जीवन से जुड़ी कई रोचक घटनाएं हैं जो हमें प्रेरित करती हैं।  हम ऐसे ग्यारह (11 ) मन्त्र जो लाल बहादुर शास्त्री ने कहे थे के बारे जानेंगे। और उनसे प्रेरणा लेंगे।  

Lal Bahadur Shastri Quotes in Hindi

 

Lal Bahadur Shastri Quotes in Hindi

ताशकंद की अपनी यात्रा के दौरान, ठन्डे मौसम को देखते हुए उन्हें सोवियत-रूसी राजनेता एलेक्सी कोश्यिन द्वारा एक रूसी गर्म कोट उपहार में दिया गया था। हालांकि, शास्त्री जी  ने गर्म कोट पहनने के बजाय अपने एक कर्मचारी को दे दिया। जब कोश्यिन ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें कोट पसंद है, तो भारतीय पीएम ने जवाब दिया, यह वास्तव में सुंदर था, लेकिन उनके कर्मचारियों के पास उन्हें कड़ाके की ठंड से बचाने के लिए कुछ भी नहीं था, इसलिए उन्होंने उसे दे दिया क्योंकि उनका खुद का खादी कोट काफी गर्म था। इस पर कोश्यिन ने टिप्पणी की, “हम कम्युनिस्ट हैं लेकिन प्रधान मंत्री शास्त्री एक सुपर कम्युनिस्ट हैं।”

‘नहीं चाहिए, बर्बाद मत करो’ के विश्वासी शास्त्री ने एक ईमानदार और सच्चा-सरल जीवन व्यतीत किया और अपने आदर्शों को सबसे ऊपर रखा । एक बार उनके बेटे सरकार द्वारा प्रदान की गई सरकारी कार की सवारी पर गए थे, इसलिए शास्त्री ने यात्रा के लिए ईंधन का खर्च सरकारी धन से अपने वेतन से जमा किया।

एक बार स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें जेल में डाल दिया गया और उनकी बेटी गंभीर रूप से बीमार हो गई और उनकी मृत्यु हो गई। शास्त्री को अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करने के लिए बारह दिनों की छुट्टी दी गई थी। हालांकि, स्थिति की गंभीरता को समझते हुए वह अंतिम संस्कार करने के बाद तीन दिनों में लौट आए।

लाल बहादुर शस्त्री जी के विचार जो हमें प्रेरित करते हैं वह इस प्रकार हैं —

 १- हमारा विश्वास सिर्फ स्वयं की शांति और विकास में नहीं बल्कि  हम सारे संसार  के लोगों के लिए शांति और संयमपूर्ण  विकास में विश्वास करते हैं।

२- शासन का प्राकृतिक मूल उद्देश्य, जैसा कि मैं इसे देखता और समझता हूं, समाज को एकता के सूत्र में बांधे रखना है ताकि यह समग्र रूप से विकसित हो सके और पवित्र  लक्ष्यों की ओर अग्रसर हो सके।

भारत में प्रचलित छुआछूत और भेदभाव को देखते हुए उन्होंने कहा —-

३- मेरे देश को तब तक अपना सिर शर्म से झुकाना होगा जब तक  ऐसा  एक भी व्यक्ति शेष  है जिसे किसी भी तरह से अछूत समझा जाता है।

४- इस देश की स्वतंत्रता की रक्षा करना केवल हमारे सैनिकों का कर्तव्य नहीं है। बल्कि पूरे देश को एक साथ भारत को शक्तिशाली बनाना होना है।

अपनी सादगी पर उन्होंने कहा —–

५- मैं उतना सीधा-सरल नहीं हूं जितना दिखता हूं और जैसा लोग मेरे बारे में समझते हैं।

 ६- हमें अब अपने पड़ोस में शांति के लिए उसी साहस और दृढ़ संकल्प के साथ लड़ना है, जिस तरह हमने आक्रमण के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ी थी

७- देश के प्रति वह कर्तव्य और सच्ची निष्ठा अन्य सभी निष्ठाओं और कर्तव्यों से ऊपर है। और यह एक पूर्ण देशभक्ति है, क्योंकि कोई इसे प्राप्त करने के संदर्भ में तौल नहीं सकता है।

देश की बेरोजगारी और गरीबी देखकर उन्होंने कहा —-

८- आर्थिक स्थिति और उससे जुड़े मुद्दे  हमारे लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हमें इस देश के  सबसे बड़े दुश्मनों यथा – गरीबी, बेरोजगारी से लड़ना चाहिए।

वर्तमान राजनितिक परिस्थितियों में शास्त्री जी का यह कथन अत्यन महत्पूर्ण प्रतीत होता है —–

९- किसी भी देश का सच्चा लोकतंत्र या जनता का शासन  कभी भी असत्य और हिंसक साधनों से प्राप्त नहीं किया जा सकता ।

१०- सत्ता में बैठे लोगों (नेताओं ) को यह अवश्य देखना चाहिए कि लोग उनके प्रशासन के प्रति किस प्रकार की  प्रतिक्रिया देते हैं। अंततः, यही लोग लोकतंत्र और शासन के अंतिम मध्यस्थ हैं।

११- देश के नागरिकों को संवैधानिक कानून के शासन का ईमानदारी से सम्मान किया जाना चाहिए,  ताकि हमारे लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाए रखा जा सके और इसे और अधिक मजबूत  किया जा सके।

इस प्रकार इन मन्त्रों को प्रत्येक भारतीय नागरिक को पढ़ना और समझना चाहिए ताकि अपने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा कर सके। राजनीति में दिन-प्रतिदिन होती गिराबट भी चिंता का विषय है। वर्तमान राजनितिक परिदृश्य में राजनीतिक मूल्य कहीं खो से गए हैं। आज फिर हमें शास्त्री जैसे ईमानदार नेताओं की आवश्यकता है।


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