स्मृति मंधाना-भारत में बहुत से खेल खेले जाते हैं परन्तु सबसे प्रसिद्ध यहाँ क्रिकेट ही है लोग इस खेल के दीवाने हैं। भारत में यह खेल अंग्रेजों द्वारा लाया गया। क्रिकेट को पुरुषों का खेल समझा जाता था। परन्तु आज विश्व के सभी क्रिकेट खेलने वाले देशों में महिलाऐं भी क्रिकेट खेल रहीं हैं। भारत में क्रिकेट धर्म की तरह है और कुछ क्रिकेटर भगवान की तरह पूजे जाते हैं। यह भी सत्य है कि पुरुष क्रिकेट के मुकावले महिला क्रिकेट की लोकप्रियता उतनी नहीं हैं।
लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत की महिला खिलाड़ियों ने विश्व भर में अपने खेल प्रशंसक बनाये हैं। आज हम ऐसी ही एक क्रिकेटर स्मृति मंधाना की बात करेंगे। स्मृति मंधाना के खेल और जीवन से जुडी रोचक जानकारी हम इस ब्लॉग के माध्यम से आप तक पहुंचाएंगे
स्मृति मंधाना: संक्षिप्त परिचय
जन्म- |
18 जुलाई 1996 |
जन्मस्थान – |
मुंबई |
पिता- |
श्रीनिवास मंधाना |
माता- |
स्मिता मंधाना |
बैटिंग शैली – |
बांये हाथ |
बॉलिंग – |
राइटआर्म ऑफ ब्रेक |
स्मृति मंधाना
स्मृति मंधना का जन्म मुंबई के एक मारवाड़ी परिवार में 18 जुलाई1996 को हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीनिवास मंधाना और माता का ना श्रीमति स्मिता मंधाना है।इसके आलावा उनका एक भाई भी है जिसका नाम श्रवण है। उनके पिता मुंबई से सांगली में बस गए, उस समय स्मृति मात्र दो वर्ष की थीं। स्मृति की माता एक गृहणी हैं और पिता सांगली की कैमिकल फैक्ट्री में वितरक ( डिस्ट्रिब्यूटर ) का कार्य करते हैं। स्मृति ने अपनी प्राथमिक शिक्षा माधवनगर में प्राप्त की।
स्मृति मंधाना के अंदर क्रिकेट का शौक अपने भाई को क्रिकेट खेलते देखकर पैदा हुआ। क्रिकेट का जूनून स्मृति में पनपता गया उन्होंने बाएं हाथ से बैट पकड़कर खेलना शुरू कर दिया। हालांकि की स्मृति की मान की इच्छा थी कि वह टैनिस खेलें। लेकिन क्रिकेटर की लोकप्रियता से प्रभावित स्मृति ने क्रिकेट पर ही अपना ध्यान केंद्रित किया। स्मृति का भाई महाराष्ट्र के लिए अंडर-16 की टीम में खेले थे। उनके पिता ने बेटी में छिपी क्रिकेट की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया।
इसका परिणाम यह हुआ कि स्मृति मात्र 9 वर्ष की आयु में महाराष्ट्र की अंडर-14 टीम की ओर से खेलने लगीं। मात्र 11 वर्ष की आयु में स्मृति को महाराष्ट्र की अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम के लिए चुन लिया गया।
जब लोगों ने स्मृति को ताने मारे
क्रिकेट और पढाई के बीच में समय निकालना एक बड़ी चौनौती थी इसलिए दसवीं के बाद स्मृति की मां ने उन्हें आसान विषय चुनने को कहा जबकि स्मृति बायोलॉजी से पढाई करना चाहती थीं। मगर क्रिकेट के शुरुआती दौर में स्मृति के खेल पर लोग मजाक उड़ाते थे और कहते कि भारत में महिला क्रिकेट कोई नहीं देखता और इसका कोई भविष्य नहीं है। लेकिन स्मृति ने इन बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और खेलना जारी रखा।
स्मृति की घरेलू क्रिकेट में सफलता
स्मृति मंधाना को अपने क्रिकेट करियर की पहली सफलता तब मिली जब उन्हें अक्टूबर 2013 महाराष्ट्र की ओर से खेलते हुए गुजरात के विरुद्ध दोहरा शतक लगाया। ऐसा करने वाली स्मृति प्रथम महिला क्रिकेटर थीं। उन्होंने वड़ोदरा में में हुई जब वह एकदिवसीय मैच में डबल शतक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। गुजरात के खिलाफ अल्मबिक क्रिकेट खेल मैदान पर खेलते हुए पश्चिमी ज़ोन अंडर 19 क्रिकेट टूर्नामेंट में 150 बॉल पर नाबाद रहते हुए 224 रन बनाये।
महिला चैलेंजर ट्रॉफी 2016 में स्मृति ने भारत रेड की ओर से खेलते हुए शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए तीन अर्धशतक लगाए और फाइनल मुकाबले में 82 बॉल पर नाबाद 62 रन बनाये और अपनी टीम को भारत ब्लू के विरुद्ध विजेता की ट्रॉफी दिलाई।
स्मृति मंधाना के अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत
स्मृति मंधाना ने अपना प्रथम अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट मैच वर्मस्ली पार्क में इंग्लैंड के खिलाफ 13 अगस्त 2014 को खेला था। इस टेस्ट मैच में खेलते हुए स्मृति ने क्रमशः अपनी पहली पारी में 22 और दूसरी पारी में 51 रन बनाकर भारत को मैच जीतने में मदद की। अपने एकदिवसीय क्रिकेट करियर की शुरुआत स्मृति ने 10 अप्रैल 2013 को बंगलादेश के विरुद्ध की थी।
2016 में भारत की महिला क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई। स्मृति ने इस दौरे पर अपने एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय करियर का पहला शतक लगया। होबार्ट में बेलरिवे ओवल के दूसरे एकदिवसीय मैच में , स्मृति मंधाना ने 109 बॉल में 102 रन बनाये।
स्मृति मंधाना के संबंध में रोचक तथ्य
- स्मृति को उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए 2019 फोर्ब्स के शीर्ष 30 खेल हस्तियों में शामिल किया गया।
- स्मृति बाटा शूज के पावर ब्रांड की ब्रांड एम्बेसडर भी हैं।
- एकदिवसीय महिला क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाली प्रथम भारतीय हैं।
- वह राहुल द्रविड़ द्वारा गिफ्ट किये बैट से खेलीं थी जब उन्होंने पश्चिमी जोन अंडर-19 प्रतियोगिता में नाबाद 224 रन बनाये थे।
- वह झूलन गोस्वामी को अपना रोल मॉडल मानती हैं।
- आईसीसी वुमन टीम ऑफ़ द ईयर के लिए नामित होने वाली एकमात्र भारतीय महिला खिलाडी।