यहां वे देश हैं जहां महिलाओं के लिए मतदान करना वास्तव में कठिन है। भले ही हम कितने ही आधुनिक हो गए हैं मगर महिलाओं के संबंध में हमारी सोच आज भी दोयम दर्जे की है। आज विश्व के अधिकांश देशों में लोकतान्त्रिक सरकारें हैं लेकिन अभी भी कई देशों ने अपने देश में महिलाओं को मताधिकार से बंचित रखा है। इस ब्लॉग में हम उन देशों के बारे में जानेगें जहां महिलाओं को मताधिकार से बंचित रखा गया है।
कौन से देश हैं
आज, 8 मार्च 2021, जब हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं, आइए याद रखें कि दुनियाभर में समानता की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
आज ( 8 मार्च ) विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है और इसलिए यह महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाए जाने का सही समय है। हालांकि, हमारे सभी उत्सवों और गौरव में, यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों में सुधार के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। क्योंकि, विश्वभर में ऐसी महिलाओं की संख्या कम नहीं है जो आज भी अपने बुनियादी अधिकारों उपयोग नहीं कर सकती हैं।
अब तक जितना हमने देखा है हम पितृसत्तात्मक समाज में रहते हैं। इस पितृसत्तात्मक समाज के वर्चस्व के कारण महिलाऐं घरेलू हिंसा, बलात्कार, दहेज़ हत्या जैसे अपराधों का शिकार होती हैं। भारत महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक माना जाता है। सड़कों पर, काम पर या बाजारों में अकेले होने पर भारतीय महिलाएं लगातार हाई अलर्ट की स्थिति में रहती हैं।
भारत की मुख्य रूप से पितृसत्तात्मक प्रकृति के कारण, घरेलू हिंसा को सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य माना जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि अधिकांश कामकाजी महिलाएं भी अपने पति से घरेलू शोषण का शिकार होती हैं। एक गैर-कमाई वाली महिला की स्थिति घर में आर्थिक रूप से योगदान करने वाली महिला के विपरीत अपने पुरुष साथी पर भेद्यता और निर्भरता को और बढ़ा देती है।
देश भर में व्याप्त गरीबी कम साक्षरता दर और परिणामस्वरूप महिलाओं के बीच अशक्तता और दुर्व्यवहार का मुख्य कारण है। statista ऑनलाइन वेबसाइट अनुसार 2005 से 2020 तक भारत में 329893 बलात्कार के मामले दर्ज हुए।
लेकिन हमारे लिए, पितृसत्ता अक्सर छिपे हुए, सामाजिक व्यवहार के पर्दे के नीचे मौजूद होती है जो हमें बहुत प्रभावित करती है लेकिन कम से कम एक समाज के रूप में इसे ‘बुराई’ के रूप में जाना जाता है । हालांकि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी पितृसत्ता को अक्सर स्वीकार किया जाता है।
यह इन देशों में है जहां महिलाओं को शिक्षा की कमी से लेकर न्यूनतम राजनीतिक अधिकारों तक, सबसे बुनियादी मानवाधिकारों के खिलाफ अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। विश्व स्तर पर महिलाएं अनुपातहीन रूप से गरीब हैं, और भारत में अभी भी महिलाओं को बच्चे, घर, पति की सेवा जैसे कामों के लिए ही अधिकृत समझा जाता है, दुनिया के अन्य हिस्सों में इसे तथ्य माना जाता है। चाहे वह धर्म, परंपरा या शिक्षा की कमी के कारण हो, यह सब महिलाओं के गुलाम होने के बराबर है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह कितना प्रचलित है, खासकर ऐसे समय में, जहां हम जश्न मना रहे हैं कि भारत में महिलाएं कितनी आगे निकल गयी हैं। पिछली पीढि़यों ने जिस चीज के लिए लड़ाई लड़ी थी, उससे हमें भले ही फायदा हो रहा हो, लेकिन एक लड़ाई अभी बाकी है। भारत के ग्रामीण इलाके आज भी भयंकर जातीय भेदभाव और शोषण का शिकार हैं और इसका सबसे ज्यादा दंश महिलाओं को ही झेलना पड़ता है। जरा इन देशों पर एक नज़र डालें जहां महिलाओं के लिए मतदान करना (और काम करना और जीना) वास्तव में मुश्किल है …