अतीक अहमद की बायोग्राफी: प्रारम्भिक जीवन, राजनीति, अपराध, और अंत

अतीक अहमद की बायोग्राफी: प्रारम्भिक जीवन, राजनीति, अपराध, और अंत

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अभी 3 दिन पहले ही अतीक अहमद के बेटे की एक पुलिस मुठभेड़ में हत्या हो गई, जिसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थी कि अतीक अहमद का भी अंत निकट है और यह कयासबाजी सत्य सिद्ध हुई। 15 अप्रैल 2023 को अतीक अहमद का भी तथाकथित हत्यारे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या के वक़्त अतीक अहमद चिकित्सा जाँच हेतु पुलिस सुरक्षा में अस्पताल जा रहा था। आइये जानते हैं अतीक अहमद के जीवन की पूरी कहानी एक साधारण घर का लड़का कैसे बना बाहुबली डॉन? अतीक अहमद की जीवनी, राजनीती और अपराध की कहानी।

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अतीक अहमद की बायोग्राफी: प्रारम्भिक जीवन, राजनीति, अपराध, और अंत

अतीक अहमद की बायोग्राफी-कौन था अतीक अहमद?

अपने खतरनाक अपराधों से इलाहबाद (प्रयागराज) में खौफ का पर्याय रहे अतीक अहमद का अंत बिलकुल बैसे ही हुआ जैसे एक अपराधी का होता है। कभी जिसकी अपराध की दुनिया में तूती बोलती थी वह हमेशा के लिए चिरनिद्रा में सो गया। आइये जानते हैं कौन था अतीक अहमद और क्या है उसकी पूरी कहानी ?

अतीक अहमद का जन्म और प्रारम्भिक जीवन

माफिया अतीक अहमद जो राजनीति में भी सक्रिय था और कई बार सांसद और विधायक रहा। उसका जन्म एक साधारण परिवार में 10 अगस्त 1962 को हुआ था। 15 अप्रैल 2023 को उसकी मृत्यु हो गई। वह 60 साल का था। अतीक अहमद का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा।

अतीक अहमद के पिता का नाम फिरोज अहमद था और वह 1979 के दशक में तांगा चलाकर अपने परिवार का पेट भरते थे। वह इलाहबाद के चकिया मोहल्ले में रहते थे। अतीक अहमद शुरू से ही शरारती तत्वों के साथ रहता था और पढ़ने में उसका मन नहीं लगता था। अतीक हाई स्कूल में परीक्षा में असफल हो गया। अतीक किसी भी तरह से पैसा कमाना चाहता था। इसके लिए उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया।

नाम अतीक अहमद
जन्म 10 अगस्त 1962
जन्मस्थान इलाहबाद
पिता का नाम फिरोज अहमद
माता का नाम
पत्नी का नाम शाइस्ता परवीन
बच्चों के नाम अली अहमद, उमर अहमद, असद अहमद, शहजाद अहजान और अबान अहमद
पेशा माफिया और राजनेता
मृत्यु 15 अप्रैल 2023
मृत्यु का स्थान प्रयागराज
मृत्यु का कारण गोली मारकर हत्या

बहुत कम उम्र से शुरू कर दिया अपराध का धंधा

अतीक की उम्र भले ही अभी 17 साल थी और अभी वह नाबालिग था मगर उसके अंदर अपराध करने का जूनून भरपूर था। धीरे-धीरे उसका आपराधिक रिकॉर्ड बढ़ने लगा। वह अपराध और राजनीति में एक खास नाम हो गया था। उसे डॉन कहा जाने लगा। आइये जानते हैं कैसे बन गयाअतीक अहमद डॉन?

चाँद बाबा की हत्या कर बन गया अपराध की दुनिया का सरताज

कैसे अतीक अहमद डॉन बन गया और राजनीती में उसने कैसे कदम बढ़ाये यह जानना जरुरी है। यह बात वर्ष 1987 की है। उस समय इलाहबाद में एक चाँद बाबा नाम का बाहुबली डॉन था और उसका खौफ लोगों में बहुत गहरे तक था। राजनेता हो या व्यापारी सब चाँद बाबा से खौफ खाते थे। यहाँ तक की पुलिस भी उस तक नहीं पहुँच पाती थी। अतीक अहमद अभी अपराध की दुनिया में अनजान चेहरा था।

अतीक अहमद बड़ा डॉन बनना चाहता था और इसके लिए जरुरी था कि चाँद बाबा जैसे डॉन का अंत। उसने चाँद बाबा की हत्या का फैसला किया। बात 1989 की है जब बैखोफ अतीक अहमद ने चाँद बाबा की खुलेआम हत्या कर दी और और अपराध की दुनिया का बादशाह बन गया।

अब अतीक अहमद अपराध की दुनिया में सरपट दौड़ रहा था। उसने एक के बाद एक अपराधों को अंजाम दिया। वर्ष 2002 में उसने न्क्सन की हत्या की। वर्ष २००४ में उसने भारतीय जनता पार्टी के नेता मुरली मनोहर जोशी के करीबी अशरफ की हत्या कर दी। उत्तर प्रदेश की राजनीती में उस समय भूचाल आ गया जब 2005 में नव निर्वाचित विधायक राजू पाल की हत्या हो गई और इसका इलज़ाम अतीक अहमद पर लगा।

अपराध की दुनिया से राजनीती में रखा कदम

राजनीति में अतीक अहमद की एंट्री कम रोचक नहीं है, अतीक अब पुलिस से बचने के तरीके ढूढ़ने लगा और उसे राजनीति से अच्छी जगह कोई नहीं मिल सकती थी। उसने चुनाव लड़ने का फैसला किया।

यह वर्ष था साल 1989 जब अतीक ने राजनीति में धमाकेदार शुरुआत की वो भी निर्दलीय। इलाहबाद की पश्चिमी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदार के रूप में भारी बहुमत से विजय हासिल की। अब कल का माफिया माननीय बन चूका था। पुलिस उसे अब खुद सुरक्षा दे रही थी और डीएम उसे वजय का सर्टिफिकेट दे रहे थे।

अब अतीक राजनीती में भी जाना-पहचाना नाम बन गया। अब राजनीतिक दलों में जाने के लिए उसके रस्ते खुल चुके थे। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने उसे सदस्य्ता दी। इसके बाद उसने 5 बार विधायक का चुनाव जीता। अब वह प्रदेश की राजनीति से निकलर संसद में जाने के लिए तैयार था और वह 2004 में संसद के चुना गया। सांसद बनने के बाद उसे विधायक की सीट छोड़नी पड़ी।

राजू पाल हत्याकांड और अतीक अहमद

विधायक के लिए होने वाले उपचुनाव में अतीक ने अपने भाई को खड़ा कर दिया उसके सामने मुख्य प्रतिद्वंदी बसपा के राजू पाल थे। अतीक आश्वस्त था कि उसका भाई आसानी से जीत हासिल करेगा। लेकिन परिणाम एकदम उलट रहा और राजू पाल ने जीत दर्ज की। राजू पाल जीत से अतीक बौखला गया और राजू पल को जड़ से ख़त्म करने की ठान ली।

25 जनवरी 2005 को राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई। हमले में राजू के साथ देवी और संदीप यादव की भी मृत्यु हो गई। इस हत्याकांड में अतीक और उसके भाई असरफ का नाम सीधे-सीधे आया। मगर अतीक पर हाथ डालने की हिम्मत किसी में नहीं थी। यहाँ तक कि जज भी सजा सुनाने से कांपते थे।

इस बीच वह क्षेत्र के कई बदमाशों के झांसे में आ गया है। जल्दी अमीर बनने के लिए वह डकैती, अपहरण और फिरौती जैसे अपराध करने लगा। 1997 में उसके खिलाफ हत्या का पहला मामला दर्ज किया गया था।

जब अतीक की जमानत पर फैसला सुनाकर 10 जज खुद कांप उठे

यह घटना साल 2012 की है। उस समय तक अतीक अहमद जेल में था। उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी। लेकिन उनका डर ऐसा था कि हाईकोर्ट के एक-दो जज नहीं, बल्कि कुल 10 जज फैसला लेने से डर रहे थे. इन 10 जजों ने मामले की सुनवाई से ही खुद को अलग कर लिया। अब डर भी कम नहीं था।

11वें जज ने सुनवाई की। लेकिन फैसला अतीक अहमद के पक्ष में आया. यानी अतीक अहमद को जमानत मिल गई। अब जेल से बाहर आने के बाद अतीक अहमद ने चुनाव तो लड़ा लेकिन उनका दबदबा पहले जैसा नहीं रहा. वह चुनाव हार गए। और हारने वाला कोई और नहीं थी वो थी राजू पाल की पत्नी पूजा पाल। जिसकी हत्या के आरोप में अतीक अहमद 2005 में जेल गया था।

इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में अतीक अहमद ने दोबारा चुनाव लड़ा। लेकिन इस बार इलाहाबाद से नहीं। बल्कि श्रावस्ती से। पार्टी थी समाजवादी पार्टी। लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा। उस वक्त बीजेपी नेता ददन मिश्रा चुनाव जीत गए थे. इस तरह बाहुबली अतीक अहमद का कद गिरता चला गया। लेकिन एक बार फिर अतीक अहमद यूपी की राजनीति और अपराध की दुनिया दोनों में सुर्खियों में आ गए थे. लेकिन आज यानी 15 अप्रैल को अतीक का अंत हो गया.

अतीक अहमद का अंत कैसे हुआ

योगी के सीएम बनते ही अतीक के खिलाफ कई मामलों की जांच शुरू हो गई थी. तब से अतीक की 1600 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चल रहा है. मरियाडीह दोहरे हत्याकांड में अतीक का भाई अशरफ भी जेल जा चुका है। अतीक के चार बेटे हैं। दो नाबालिग हैं। दोनों बाल सुधार गृह में बंद हैं। उमेश पाल हत्याकांड का आरोपी असद पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। एक अन्य जेल में है।

अतीक के बड़े बेटे उमर पर 26 दिसंबर 2018 को उसके पिता के बिजनेस फ्रेंड मोहित जायसवाल के अपहरण का आरोप है। रिहा होने के बाद मोहित ने इसकी कहानी भी बताई थी। आरोप है कि उसे देवरिया जेल ले जाकर पीटा गया।

15 अप्रैल 2023 शनिवार को प्रयागराज में जिला अस्पताल के बाहर तीन हमलावरों ने अतीक और उसके भाई अशरफ पर हमला कर दिया. दोनों को गोली मार दी गई थी।


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