फूलन देवी : अखिलेश यादव ने सपा के पूर्व सांसद और दस्यु सुंदरी फूलन को दी श्रद्धांजलि, मिर्जापुर से रिश्ता- फूलन देवी (10 अगस्त 1963 – 25 जुलाई 2001) दस्यु सुंदरी से सांसद बनीं। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को ट्वीट कर फूलन देवी को श्रद्धांजलि दी।
दरअसल, फूलन देवी मिर्जापुर-भदोही से दो बार सांसद चुनी गई थीं। 1980 के दशक में शोले के गब्बर सिंह से फूलन देवी का नाम ज्यादा चर्चित हुआ। 1983 में आत्मसमर्पण करने वाली फूलन 1994 तक जेल में रहीं। इसके बाद सपा ने उन्हें मिर्जापुर-भदोही लोकसभा सीट से मैदान में उतारा और वह जीत गईं।
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समाजवादी पार्टी की पूर्व सांसद स्व. फूलन देवी जी की पुण्यतिथि पर शत शत नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/N3LlgZ3dqi
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 25, 2022
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फूलन देवी : अखिलेश यादव ने सपा के पूर्व सांसद और दस्यु सुंदरी फूलन को दी श्रद्धांजलि, मिर्जापुर से रिश्ता
खड्ड का एक खूंखार डकैत
यमुना-चंबल के दुर्गम घाटों में पली-बढ़ी फूलन देवी ने शायद कभी नहीं सोचा होगा कि बंदूक छोड़कर उनका राजनीतिक सफर संसद तय कर सकती है. दस्यु सुंदरी फूलन देवी जब चुनाव लड़ने मिर्जापुर पहुंची तो उनकी पहचान बीहड़ के एक खूंखार डकैत से ज्यादा कुछ नहीं थी.
बैंडिट क्वीन रिलीज़ हुई और उसकी असली कहानी लोगों के सामने आई
26 जनवरी 1996 को फूलन की जीवनी पर आधारित मशहूर फिल्म बैंडिट क्वीन रिलीज हुई और उनकी असली कहानी लोगों के सामने आई। उस समय सोशल मीडिया का जमाना नहीं था लेकिन गांवों में लोग टीवी पर वीसीआर लगाकर बैंडिट क्वीन की फिल्में देखते थे।
जनता के बीच सहानुभूति पैदा की
इस फिल्म के रिलीज होने के बाद फूलन के साथ हुए अत्याचार भी लोगों के सामने आए, जिससे जनता के बीच उनके प्रति सहानुभूति थी. इस फिल्म के बाद फूलन लोगों के दिलों पर राज करने लगी और सांसद होने के बाद भी उन्होंने कई ऐसे काम किए जिन्हें लोग प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके.
भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह मस्त को एक बार फिर एक लाख मतों से हराया।
1996 में जब फूलन देवी मिर्जापुर-भदोही से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार बनी तो यहां के लोगों ने उन्हें जीत का तोहफा देकर संसद का रास्ता दिखाया. 1999 के चुनावों में भी, समाजवादी पार्टी ने उन्हें फिर से उम्मीदवार घोषित किया। इस दौरान उन्होंने फिर से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त को करीब एक लाख वोटों से हराया।
फूलन की सहजता और उपलब्धता पर आज चर्चा
संसदीय कार्यकाल के दौरान फूलन की सहजता और उपलब्धता की चर्चा आज भी लोगों की जुबान पर है। उनका वर्णन करते हुए पुराने नेताओं का कहना है कि वह स्वभाव से बहुत चिड़चिड़ी थीं लेकिन उनका एक मानवीय पक्ष भी था जो कभी-कभी दिखाई देता था। सांसद बनने के बाद वह एक आम महिला की तरह कई बार अस्पतालों का दौरा करती थीं और वहां का निरीक्षण करती थीं.
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