केंद्र सरकार ने फर्जी मतदाताओं को रोकने और चुनाव में कुछ अन्य सुधार करने के उद्देश्य से ‘एलेक्ट्रोरल रिफॉर्म्स बिल-Electoral Reforms Bill 2021 को संसद में पेश किया है। आइये जानते हैं इस बिल के प्रमुख
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चुनाव सुधार अधिनियम 2021-प्रावधान क्या हैं ?
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने चुनाव सुधार बिल 2021 लोकसभा में पेश किया जहाँ से वह आसानी से पास हो गया। लोकसभा के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि चुनाव अधिनियम संसोधन विधेयक 2021 -Electoral Reforms Bill 2021संसद में पेश किया गया है जिसमें निम्नलिखित सुधारों को लागू किये जाने का प्रावधान है —
इस बिल के द्वारा मतदाता सूची में फर्जी मतदान रोकने के लिए आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोड़ा जायेगा ताकि मतदाता का नाम दोहरा न पाए कोई।
- इसके अतिरक्त सेना में तैनात पुरुष कर्मियों के मतदाता के रूप में मतदान करने का अधिकार पत्नी को प्राप्त है लेकिन महिला सैन्य कर्मियों को मतदान करने के लिए मतदाता के रूप में उनके पति को यह अधिकार नहीं है अतः इस बिल में उनके पति को भी यह अधिकार मिलेगा।
वोटर पंजीकरण के नियम में भी किया जायेगा बदलाब
विधेयक के द्वारा निम्नलिखित प्रावधान किये जायेंगे —
- जनप्रतिनिधि कानून के तहत सैन्यकर्मी मतदताओं से संबंधित प्रावधानों में पत्नी शब्द के स्थान पर जीवनसाथी ( spouse ) शब्द का इस्तेमाल करने को कहा है।
- युवाओं को अब वर्ष में चार बार पंजीकरण कराने का अवसर प्रदान किया जायेगा जिमें चार तिथियां निर्धारित की जाएँगी।
- इससे पहले नियम यह था कि जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों को ही मतदाता के रूप में पंजीकरण की अनुमति दी जाती थी।
- जनप्रति अधिनियम 14-B में संसोधन कर अब मतदाता पंजीकरण के लिए चार कट ऑफ डेट निश्चित की जाएँगी क्रमशः 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई तथा 1 अक्टूबर की जायेंगीं।
और इस प्रकार आज दिनांक 21-12-2021 को यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया है। अब इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा।
क्या इस बिल पर विपक्षी सदस्यों की राय
विपक्षी दलों ने आधार कार्ड को वोटर लिस्ट से प्रावधान को मौलिक अधिकार और निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया है।
यह सही है कि विटर लिस्ट में मतदाता के आधार कार्ड को जोड़ने से कई क्षेत्रों या स्थानों से पंजीकरण करने को रोका जा सकेगा। लेकिन यह भी सत्य है कि एपिक नंबर के साथ आधार नंबर जुड़ने से सत्तासीन दल मतदाता की पहचान के आधार पर चुनाव की पारदर्शिता को प्रभावित कर सकता है। साथ ही ऐसे अनेक लोग जिन्होंने फर्जी निवास प्रमाणपत्रों से भारत में अवैध तरिके से आधार कार्ड बनवाये हैं वे भी वैध मतदाता बन जायेंगें। अतः ऐसे विदेशी घुसपैठिये भी नागरिकता दावा कर सकते हैं कि वे भारत निर्वाचन की मतदाता सूची में दर्ज हैं क्योंकि उनका आधार कार्ड उससे जुड़ेगा।