समाचार पत्रों का कार्य मुख्यतः सरकार की नीतियों को जनता तक पहुँचाना है और सरकार को जनता की आवश्यकताओं तथा सरकारी नीतियों की प्रतिक्रिया से परिचित करना तथा देशी और विदेशी समाचार से जनता को अवगत करना है। समाचार पत्रों के इन कार्यों का समय की आवश्यकता के अनुसार विकास हुआ। वर्तमान भारतीय पत्रकारिता भी कुछ इन्हीं परिवर्तन के दौर से गुजर रही है।
भारतीय परत्रकारिता अब जनता को जागरूक करने की बजाय सरकार के पक्ष ,में खड़ी दिखाई देती है। जनता का सरोकार अथवा आवश्यकताएं अब पत्रकारिता की प्राथमिकताओं में नहीं दिखतीं। इस ब्लॉग में हम भारत में पत्रकारिता अथवा समाचार पत्रों का इतिहास जानेंगे।
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फोटो स्रोत – ब्रिटिश लाइब्रेरी ऑनलाइन |
भारत का पहला समाचार पत्र
भारत में पत्रकारिता और समाचार पत्रों का इतिहास बहुत पुराना है। समाचार पत्रों का आविष्कार ब्रिटिश शासनकाल में हुआ था, जब उन्होंने वहाँ अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्र शुरू किए थे। भारत में पहला समाचार पत्र “बंगाल गैजेट” जो कि कोलकाता में प्रकाशित हुआ था, जिसे 29 जनवरी 1780 को शुरू किया गया था।
- भारतीय समाचार पत्रों का इतिहास यूरोपीय लोगों भारत आगमन से शुरू होता है —-
- पुतर्गाली पहले लोग थे जिन्होंने भारत में प्रिंटिग प्रेस भारत में लगाई।
- 1557 में गोवा पादरियों ने भारत में पहली पुस्तक छापी।
- 1664 में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने बम्बई में एक मुद्राणलय की स्थापना की।
- भारत में पहला समाचार पत्र ईस्ट इंडिया कम्पनी असंतुष्ट कार्यकर्ताओं प्रयास किया।
- भारत में पहला समाचारपत्र निकलने का श्रेय “जेम्स ऑगस्टन हिक्की” को है जिन्होंने 1780 में The Bengal Gazette अथवा The Calcutta General Advertiser नाम का समाचार पत्र को प्रकाशित किया।
हिक्की का बंगाल गजट भारतीय उपमहाद्वीप पर प्रकाशित होने वाला पहला अंग्रेजी भाषा का समाचार पत्र था। इसकी स्थापना 1779 में आयरिशमैन जेम्स ऑगस्टस हिक्की द्वारा उस समय ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता में की गई थी।
- 1784 में कलकत्ता गजट calcutta gazette
- 1785 में बंगाल जर्नल calcutta journal
- 1785 the oriental magazine of calcutta अथवा the calcutta amusement
- 1786 calcutta chronicle
- 1788 madras courier
- 1799 ईस्वी में लार्ड वैलेजली ने ने सभी समाचार पत्रों पर सेंसर लगा दिया।
- चार्ल्स मेटकाफ ( भारतीय समाचार मुक्तिदाता – 1835-36 ) ने भारतीय समाचार पत्रों को स्वतंत्र किया।
देशी भाषा समाचार पत्र अधिनियम 1878 के द्वारा सरकार भारतीय पत्रों पर कठोर नियम लागू किये।
वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट, ब्रिटिश भारत में, भारतीय भाषा (यानी, गैर-अंग्रेजी) प्रेस की स्वतंत्रता को कम करने के लिए 1878 में कानून बनाया गया था। लॉर्ड लिटन द्वारा प्रस्तावित, भारत के तत्कालीन वायसराय (1876-80 में शासित), इस अधिनियम का उद्देश्य देशी भाषा के प्रेस को ब्रिटिश नीतियों की आलोचना व्यक्त करने से रोकना था – विशेष रूप से, विरोध जो दूसरे एंग्लो-अफगान युद्ध की शुरुआत के साथ विकसित हुआ था। 1878-80)। अधिनियम ने अंग्रेजी भाषा के प्रकाशनों को बाहर कर दिया। इसने भारतीय आबादी के व्यापक स्पेक्ट्रम से मजबूत और निरंतर विरोध प्राप्त किया।
लिटन के उत्तराधिकारी के रूप में वाइसराय, लॉर्ड रिपन (1880-84 शासित) के रूप में कानून को 1881 में निरस्त कर दिया गया था। हालाँकि, भारतीयों में इससे जो आक्रोश पैदा हुआ, वह भारत के बढ़ते स्वतंत्रता आंदोलन को जन्म देने वाले उत्प्रेरकों में से एक बन गया। अधिनियम के सबसे मुखर आलोचकों में इंडियन एसोसिएशन (1876 की स्थापना) थी, जिसे आम तौर पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1885 की स्थापना) के अग्रदूतों में से एक माना जाता है।
- रामानंद चटर्जी, (29 मई 1865 – 30 सितंबर 1943), कलकत्ता स्थित पत्रिका, द मॉडर्न रिव्यू के संस्थापक, संपादक और मालिक। उन्हें भारतीय पत्रकारिता का जनक कहा जाता है।
- उदंत मार्तंड (हिंदी से, “द राइजिंग सन”) भारत में प्रकाशित होने वाला पहला हिंदी भाषा का समाचार पत्र है। 30 मई 1826 को कलकत्ता (अब कोलकाता) से शुरू हुआ, साप्ताहिक समाचार पत्र हर मंगलवार को पं. जुगल किशोर शुक्ला द्वारा प्रकाशित किया जाता था।
- बंगाल गजेटी – यह भारत में प्रकाशित सबसे पुराने प्रकाशनों में से एक एक ऐतिहासिक बंगाली साप्ताहिक समाचार पत्र था। इसे बंगाली भाषा का पहला अखबार माना जाता है। पत्रिका का संपादन सेरामपुर मिशन प्रेस के पूर्व कर्मचारी गंगा किशोर भट्टाचार्य ने किया था।
- जाम-ए-जहाँ-नुमा उर्दू भाषा का पहला अखबार था। इसकी स्थापना 1822 में कोलकाता में हरिहर दत्ता ने की थी।
- प्रतिमा पुरी (मृत्यु 29 जुलाई 2007) एक भारतीय पत्रकार थीं, जो दूरदर्शन की पहली न्यूज़रीडर बनीं।