नारायणन वघुल का जीवन परिचय | Narayanan Vaghul Biography in Hindi

भारतीय बैंकिंग सेक्टर केसुप्रसिद्ध नाम और पद्म भूषण (Padma Bhushan) पुरस्कार से सम्मानित से प्रसिद्ध बैंकर नारायणन वघुल (Narayanan Vaghul) का 18 मई 2024 को निधन हो गया है। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। वे 88 वर्षवर्ष के थे और उन्होंने चेन्नई में अंतरिम सांस ली. आपको बता दें कि वह चेन्नई के अपोलो अस्पताल में दो दिन से वेंटिलेटर पर थे. नारायणन वघुल को निजी क्षेत्र के दिग्गज बैंक आईसीआईसीआई बैंक को शिखर तक पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने अपने करियर की प्रारम्भिक यात्रा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के साथ शुरू की थी. उन्हें मात्र 44 वर्ष की उम्र में ही बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) का सबसे युवा चेयरमैन बना दिया गया था. महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) उन्हें भीष्म पितामह कहते थे. आइये जानते हैं कि कौन थे नारायणन वघुल?

फोटो स्रोत-livemint.com

Narayanan Vaghul Biography in Hindi | नारायणन वघुल का परिचय

नारायणन वघुल का जन्म ब्रिटिश भारत में 1936 में मद्रास [आधुनिक चेन्नई] में हुआ था। वे एक बैंकर और समाज सेवक थे। उन्होंने निजी क्षेत्र के बैंक आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रहे। उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए 2010 में पद्म भूषण सम्मान से नवाज़ा गया था।

नाम नारायणन वघुल
जन्म 1936
आयु 88 वर्ष मृत्यु के समय
जन्मस्थान मद्रास [आधुनिक चेन्नई]
पिता ज्ञात नहीं
माता ज्ञात नहीं
शिक्षा वाणिज्य में स्नातक
पेशा बैंकर और परोपकारी
पत्नी पद्मा वाघुल
संतान पुत्र मोहन और बेटी सुधा
नागरिकता भारतीय
निधन 18 May 2024
मृत्यु का स्थान चेन्नई, तमिलनाडु
पुरस्कार पद्म विभषण 2010

नारायणन वघुल का प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा

नारायणन वघुल का जन्म ब्रिटिश भारत के मद्रास में 1936 में हुआ था वह अपने माता-पिता की आठ संतानों में दूसरे नंबर की संतान थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा रामकृष्ण मिशन स्कूल में हुई। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। नारायणन प्रारम्भ में एक सिविल सर्वेंट बनना चाहते थे मगर आयु संबंधी सीमा के कारण आवेदन करने से बंचित रह गए।

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नारायणन वघुल का करियर

नारायणन वघुल ने अपने करियर का प्रारम्भ सार्वजानिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक ‘भारतीय स्टेट बैंक [एसबीआई]’ से की। एसबीआई में 19 वर्ष तक सेवाएं देने के बाद वे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ बैंक मैनेजमेंट में चले गये। 1978 में वे बैंक ऑफ़ इंडिया में शामिल हो गए। 1981 में बैंक ऑफ़ इंडिया में अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक का पद संभाला।

1985 में तत्कालील प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने उन्हें भारतीय औद्योगिक ऋण और निवेश निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नियुक्त किया। बाद में वघुल द्वारा इसी संस्थान को भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक आईसीआईसीआई के रूप में बदल दिया गया। 1996 में सेवानिवृत्त होने के बाद 2009 तक वे गैर-कार्यकारी अध्यक्ष बने रहे। इसके आलावा वघुल विप्रो , महिंद्रा एंड महिंद्रा , अपोलो हॉस्पिटल्स और मित्तल स्टील सहित कई कंपनियों के बोर्ड में निदेशक के रूप में कार्य किया।  वह महिंद्रा वर्ल्ड सिटी, चेन्नई के अध्यक्ष भी थे , जब इसे भारत में पहले विशेष आर्थिक क्षेत्रों में से एक के रूप में स्थापित किया गया था , और वित्तीय सेवा कंपनी क्रिसिल के पहले अध्यक्ष थे । 

पुरस्कार और सम्मान

वाघुल को 2010 में व्यापार और उद्योग श्रेणी में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने बिजनेस इंडिया से बिजनेस मैन ऑफ द ईयर (1991) और लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार जीते। इकोनॉमिक टाइम्स से . वह भारत के गैर सरकारी संगठनों में से एक गिव इंडिया के अध्यक्ष भी थे ।

नारायण को उनकी सक्रिय भागीदारी और परोपकारी कार्यों में सहायता के लिए 2012 में कॉर्पोरेट कैटलिस्ट – फोर्ब्स परोपकार पुरस्कार का पुरस्कार मिला। 

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व्यक्तिगत जीवन 

वघुल का विवाह पद्मा वाघुल से हुआ था औरदंपत्ति के दो बच्चे हैं – एक बेटा, मोहन और एक बेटी, सुधा। वघुल का 18 मई 2024 को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। इसके अतरिक्त उनके परिवार के विषय अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।

आर्टिकल स्रोत-wikipedia

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