सुप्रीम कोर्ट ने दिया उत्तर प्रदेश सरकार को CAA प्रदर्शनकारियों से वसूली गई रकम वापसी का आदेश
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दो जजों वाली बैंच – न्यायधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायधीश सूर्यकांत ने यूपी सरकार को आदेश जारी किया कि सरकार करोड़ों रुपये की वसूली गई पूरी रकम वापस करे।
मुख्य बिंदु-Highlights
- उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया प्रदर्शनकारीयों से करोड़ों की रकम वापस करे।
- सरकार कथित CAA के विरुद्ध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्यवाई की सरकार को स्वतंत्रता प्रदान की।
- यूपी सरकार ने 31 अगस्त 2020 को एक अधिसूचना जारी कर निजी व सरकारी सम्पत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए आदेश दिया।
2019 में यूपी सरकार ने CAA प्रदर्शनकारियों से वसुली की प्रक्रिया शुरू की गई थी। सरकार ने करोड़ों रुपये वसूली की जिस पर जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की दो सदस्यों की पीठ ने सरकार को आदेश दिया कि वह वसूली गई करोड़ों रुपए की रकम वापस करेगी।यूपी सरकार के लिए राहत की बात सिर्फ यही है कि कोर्ट ने कथित CAA विरोधियों यानी प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्यवाई की स्वतंत्रता दी है। बता दें कि 31 अगस्त 2020 निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति नष्ट करने वाले प्रदर्शनकारियों से वसूली के लिए अधिसूचना जारी की थी।
कोर्ट ने 11 फरवरी को यूपी सरकार को लगाई थी कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश एडवोकेट गरिमा प्रसाद द्वारा प्रस्तुत की गई दलीलों को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रदर्शनकारियों और उत्तर प्रदेश सरकार को निधि निर्देशित करने की बजाय दावा अधिकरण का रूख अपनाना चाहिए। मगर 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कथित CAA विरोधी प्रदर्शन करने वाले लोगों से भरपाई करने वाले नोटिस पर यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी।
कोर्ट ने यूपी सरकार को कार्यवाई वापस लेने का आदेश दिया था।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में सरकार को चेतावनी देते हुए कार्यवाई वापसी को लेकर अंतिम आदेश दिया था और स्पष्ट तौर पर इसे कानून के विरुद्ध बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में 2019 के वसूली अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या के विरुद्ध बताया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़ित याचिकाकर्ता परवेज आरिफ टीटू की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए वसूली नोटिस को रद्द करने की अपील की थी। इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की इस कार्यवाई को गैरकानूनी बताया।