अभी हाल ही में सामने आये आज़ाद भारत के सबसे बड़े बैंक घोटाले (22842 ) करोड़ के मामले में cBI और sbi पर क्यों उठे सवाल, आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला

अभी हाल ही में सामने आये आज़ाद भारत के सबसे बड़े बैंक घोटाले  (22842 ) करोड़  के मामले में  CBI  और SBI पर क्यों उठे सवाल, आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला

     अब तक  सबसे बड़े बैंक घोटाले में  सीबीआई ने 12 फरवरी को मुंबई, पुणे,सूरत और भरूच समेत 13 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की, इस छापेमारी में सीबीआई को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेट्रॉनिक सबूत हाथ लगे। इस जाँच में यह भी सामने आया कि इस घोटाले से जुड़े सभी आरोपी अभी देश के भीतर ही मौजूद हैं यानि कोई भी आरोपी देश से फरार नहीं हुआ है। इस घोटाले के सामने आते ही वर्तमान सरकार ने हमेशा की तरह कहा कि यह घोटाला यूपीए सरकार के समय का है और जैसे ही यह सामने आया है सरकार  त्वरित कार्यवाई की है।  

 

अभी हाल ही में सामने अये आज़ाद भारत के सबसे बड़े बैंक घोटाले  (22842 ) करोड़  के मामले में  cBI  और sbi पर क्यों उठे सवाल, आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला
PHOTO CREDIT-www.abplive.com

      स्वतंत्र  भारत के अब तक के  सबसे बड़े बैंक घोटाले (Bank Scam) के केस में सीबीआई जांच पर कई कई प्रश्नचिन्ह लग गए हैं. दूसरी तरफ एसबीआई को भी सवालों के घेरे में ला दिया है  कि बैंक ने आखिर कई सालों बाद इस मामले की शिकायत क्यों की ? कुल मिलाकर यह बैंक घोटाला 22842 करोड़ का है।   करोड़ों का यह बैंक घोटाला सन 2012 में  सामने आया था, लेकिन आश्चर्य है कि इसकी शिकायत 8 नवंबर 2019 को पथम बार दर्ज कराई गई। अब इस मामले में शिकायतकर्ता बैंक यानि एसबीआई (स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ) और सीबीआई दोनों को ही सवालों के कटघरे में खड़ा करा दिया है। सीबीआई ने एसबीआई की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मार्च 2020 में एसबीआई से कुछ सबूतों के साथ स्पष्टीकरण माँगा था। एसबीआई ने कुछ स्पष्टीकरण के साथ मार्च 2020 में एक नई प्राथमिकी दर्ज कराई। अब सवाल यह उठ रहा है कि एसबीआई की शिकायत के बाद सीबीआई ने 7 फरवरी 2022 को यानि लगभग 2 वर्ष पश्चात् केस क्यों दर्ज किया ? आखिर क्या बजह थी कि सीबीआई ने उस समय तुरंत मामले में कार्यवाई क्यों नहीं की ? सीबीआई ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है दूसरी और एसबीआई ने शिकायत में अपनी सफाई दी है।

बता दें कि यह मामला एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और एबीजी इंटरनेशनल लिमिटेड से संबंधित है और ये दोनों ही कंपनियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात की हैं। इन दोनों ही कंपनियों को 28 बैंकों के कंसोर्टियम ने ऋण दिया था। एसबीआई के अफसरों की बात पर यकीं करें तो उन्होंने कहा कि इन दोनों कंपनियों के घटिया व्यापारिक प्रदर्शन के कारण नवम्बर 2013 में इन कंपनियों का खाता NPA कर दिया गया। इस वित्तीय घाटे से उबरने के लिए कम्पनी ने कई कोशिशें की लेकिन वे असफल रहे। इसके पश्चात् दोनों कंपनियों का   फ़ॉरेंसिक ऑडिट कराया गया जिसकी रिपोर्ट 2019 में प्राप्त हुई। जाँच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस कंसोर्टियम ( संघीय खाता सहायता संघ के अग्रणी बैंक द्वारा मानीटर किया जाता है। ) की अगुवाई आईसीआईसीआई बैंक कर रहा था, लेकिन सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक होने के नाते एसबीआई ने ही सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई. कुल मिलाकर बैंकों को 22842 करोड़ का नुकसान हुआ जिसमें सबसे ज्यादा 7,089 करोड़ का नुकसान आईसीआईसी बैंक को हुआ.

सीबीआई ने  में कार्यवाई को आगे बढ़ते हुए अब तक के इस सबसे बड़े बैंक घोटाले में (22,842 करोड़ रुपये ) धोखाधड़ी का माला दर्ज कर ऋषि कमलेश ( सीएमडी एबीजी शिपयार्ड कम्पनी ), संथानम मुथुस्वामी और अश्वनी कुमार जो कम्पनी के तत्कालीन निदेशक थे पर मामला दर्ज किया है।
 कंपनी का कारोबार गुजरात के दाहेज और सूरत में है जहाँ कम्पनी  पानी के जहाज बनाने और उनकी मरम्मत का कार्य  करती है. अब तक कंपनी 165 जहाजों का निर्माण कर चुकी है.

      एक सवाल जो मीडिया द्वारा कभी नहीं उठाया जाता वो ये भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जितने भी बैंक घोटाले हुए हैं उन सबका संबंध गुजरात से क्यों है ? क्या ये सबकुछ किसी योजना  के तहत तो नहीं कराया जा रहा। हमारे सामने उदाहरण हैं -नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या  के आलावा कई लोग  हैं जो करोड़ों के बैंक घोटाले कर देश से फरार हो गए और विदेश में ऐश कर रहे हैं।  दूसरी तरफ सरकार हमेशा दावा करती है कि ये एक ईमानदार सरकार है !


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