हाल ही में भारत सर्कार ने ईसाई विरोधी भावना की लहर के बीच क्रिसमस के दिन मिशनरीज ऑफ चैरिटी का लाइसेंस आवेदन को ख़ारिज कर दिया गया। आखिर ऐसा क्यों क्या गया यह जानने के लिए इस ब्लॉग को पढ़िए।
|
फोटो क्रेडिट -theguardian.com |
भारत सरकार
theguardian ऑनलाइन वेबसाइट ने अपने विस्तृत लेख में बताया है कि यह भारत में ईसाईयों के प्रति निरन्तर बढ़ती असहिष्णुता का एक उदाहरण है।इस संस्था पर अभी हाल ही में आरोप लगे “हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने” जिस पर पुलिस की जाँच बैठे गयी थी। इस घटना के कुछ ही दिन बाद अब भारत सरकार ने मदर टरेसा की चैरिटी का लइसेंस निरस्त कर दिया तथा विदेशों से चैरेटी ( दान ) प्राप्त करने पर रोक लगा दी।
क्या है मिशनरीज ऑफ चैरिटी
मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना 1950 ईस्वी में मदर टेरेसा द्वारा की गयी थी। यह संस्था गरीबों की मदद करने के उद्देश्य से ‘ननों’ के नेतृत्व में पुरे भारत में आश्रयों स्थलों का नेटवर्क चलाता है।लेकिन अब भारत सरकार ने इस संस्था को विदेशों से मिलने वाले फण्ड के लिए लइसेंस देने से मना कर दिया है।
क्या कहा ग्रहमंत्रालय ने
क्रिसमस के दिन लाइसेंस को रद्द करने के संबंध में ग्रह मंत्रालय ने कहा कि लइसेंस पर विचार करते समय ऐसे आने इनपुट मिले जो इस संस्था प्रतिकूल थे।
इस आवेदन की अस्वकृति के पीछे धर्मांतरण को मुख्यरूप से जिम्मेदार माना गया है। क्योंकि अभी हाल ही में गुजरात के बड़ौदा में एक घर में हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन करने का आरोप कट्टपंथी हिन्दू संगठनों ने लगाया था। उस घटना को दो सप्ताह भी नहीं हुए और इस संस्था के विदेशी फण्ड/ धन प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
चैरिटी पर यह आरोप लगा कि उसने गरीब हिन्दू युवतियों को ईसाई बनने का “लालच” दिया और उन्हें ईसाई ग्रंथ पढ़ने को दिए तथा ईसाई प्रार्थना में भाग लेने को कहा। इस सभी आरोपों का इस संस्था ने पूर्णतया खंडन किया है।
पुलिसशिकायत की गयी कि “यह संस्था जानबूझकर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की घटनाओं में लिप्त है”
बड़ौदा में हुई धर्म परिवर्तन की घटना
खबर के मुताबिक “जिस घर में हिन्दू लड़कियों को एकत्र किया गया था उसमें उन लड़कियों के गले में क्रॉस पहनाया हुआ था और उन्हें ईसाई धर्म स्वीकार करने का लालच दिया जा रहा था। साथ ही उन्हें बैठाकर बाइबिल पढ़ने को मजबूर किया जा रहा था। सरकार ने इसे जबरन धर्म परिवर्तन का अपराध माना है।
इन आरोपों पर चैरेटी संस्था की सफाई
मिशनरीज ऑफ चैरेटी के प्रवकता ने इन सभी आरोपों का खंडन करते हुआ कहा कि संस्था ऐसे कामों में कभी लिप्त नहीं रही और यह सभी आरोप बेबुनियाद और संस्था को बदनाम करने के लिए लगाए गए हैं। प्रवक्ता ने कहा “हमने किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया न ही किसी लड़की को ईसाई धर्म में शादी करने के लिए मजबूर किया।”
यह आरोप ईसाई धर्म के प्रति धार्मिक नफरत ( असहिष्णुता ) हिंसा की लहर केबीच आया हैजो पुरे भारत में दक्षिणपंथी कट्टर हिन्दुओं या कट्टर राष्ट्रवादियों द्वारा संस्था पर हिन्दुओं के जबरन धर्मान्तरण का आरोप लगाया गया।
हाल के कुछ महीनों मेँ ईसाई मिशनरियों और पादरियों पर हमले किये गए हैं तथा चर्च के कार्यों में बाधा पहुंचे गयी है।
क्रिसमस के दिन ईसाई विरोधी दंगाई गुटों ने ईसाई समुदाय पर कई जगह हमले किये और यीशु मसीह की एक मूर्ति को भी तोडा गया।
अब भारत सरकार द्वारा संस्था के लइसेंस को खरिज करने के पीछे लोगों ने भारत सरकार की इस कार्यवाही को ईसाईयों के प्रति नफरत को ठहराया है। उनका सीधा आरोप “बीजेपी” की असहिष्णुता पर है।
क्या सरकार विरोधियों पर लगाम लगाना चाहती है
द गार्जियन ने नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए लिखा है कि “नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने विदेशों से धन प्राप्त करने वाले गैर सरकारी ( NGO ) संगठनों पर कड़ी लगाम लगाई है, विशेषकर उन संगठनों पर जो सरकार की आलोचना करते हैं। इस प्रकार की संस्थाओं में ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल और ग्रीनपीस’ प्रमुख हैं जिनके कहते सरकार द्वारा फ्रीज़ कर दिए गए और ये दोनों ही संस्थाएं नरेंद्र मोदी की नीतियों की आलोचक हैं।
सोमवार को मदर टेरेसा चैरिटी ( मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी ) ने इस बात की पुष्टि की कि सरकार ने उनके नवीनीकरण के आवेदन को अस्वीकार करते हुए यह भी कहा कि जब तक यह मामला सुलझ नहीं जाता संस्था किसी भी विदेशी फंडिंग खाते को प्रयोग नहीं करेगी।
क्या भारत कटटरता की ओर बढ़ रहा है ?
उपरोक्त घटना निश्चित ही निराशाजनक है क्यों यह वह संस्था है जिसने लाखों गरीब भारतीयों की मदद की है। लेकिन भारत की सरकार ने जिस प्रकार कटटरता को पनपने का मौका दिया है उसका शिकार सिर्फ ईसाई ही नहीं हिन्दू भी हो रहे हैं यहाँ तक कि अभी हाल ही में धर्म संसद के नाम पर एकत्र राजनीतिक मंच से मुसलमानों के खिलाफ जिस प्रकार की बातें की हैं वह इस देश की एकता और अखंडता के लिए किस प्रकार घातक सिद्ध होंगी हम कह नहीं सकते।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के प्रति किस कदर झूट और नफरत फैलाई जा रही है यह एक संत ( तथाकथित ) द्वारा धार्मिक मंच से खुलेआम गाली दी गयी और सरकार मूकदर्शक बनी देखती रही।
क्या विदेशों में भारत की ऐसी छवि बनेगी कि अब इस देश में वही होगा जो ये कटटरपंथी चाहेंगें?